Hapur News Khabarwala24 News Hapur : मोनाड विश्वविद्यालय में मंगलवार को विश्व विद्यालय के इलेक्ट्रीकल विभाग के तत्वाधान में वर्ल्ड एमएसएमई दिवस के उपलक्ष्य में एक दिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यशाला का शुभारम्भ विश्व विद्यालय के उपकुलपति डॉ. एन.के सिंह द्वारा मां सरस्वती के छायाचित्र पर पुष्पांजलि व दीप प्रज्जवलित कर किया गया। उपकुलपति ने सभागार में उपस्थित समस्त श्रोताओं को सम्बोधित करते हुये बताया कि एमएसएमई का मतलब सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम हैं। ये देश सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 29 फीसदी का योगदान करते हैं। एमएसएमई सेक्टर देश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया है तथा करीब 12 करोड़ लोगों की आजीविका इस क्षेत्र पर निर्भर करती है। इसलिये एमएसएमई उद्यमों को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी कहा जाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्व विद्यालय के तकनीकी एवं शिक्षा विभाग के निदेशक योगेश पाल सिंह ने की। उन्होंने बताया कि एमएसएमई दो प्रकार के होते हैं पहली मैनुफैक्चरिंग उद्यम यानी उत्पादन करने वाली इकाई दूसरी है सर्विस एमएसएमई इकाई यह मुख्य रूप से सेवा देने का काम करती हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों का फोकस भी इस सेक्टर की तरफ बढ़ा है, जिसके लिये केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा इन उद्यमों के विकास के लिये कई तरह के प्रोत्साहन भी दिए जा रहे हैं। गोष्ठी में छात्रों द्वारा एमएसएमई उद्यमों हेतु प्रयोग में आने वाली मशीनरियों के कुछ मॉडल भी तैयार कर प्रदर्शित किये गये ।
यह रहे मौजूद
कार्यक्रम में विश्व विद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. आर.बी. सिंह, अकादमिक निदेशक डॉ. सौरभी दत्ता, डॉ. गरिमा गुप्ता, डॉ. राहुल कुमार, डॉ. महीप मिश्रा, डॉ. सोमादास, डॉ. रिचा, विपुल चौधरी, सुमित कुमार, अमित सिंह, मूलराज त्यागी, सुहैल अहमद एवं अमित चौधरी आदि शिक्षकों के साथ बड़ी संख्या में छात्र भी उपस्थित रहे।