Khabarwala24 News New Delhi : सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में आज शुक्रवार को ज्ञानवापी (Gyanvapi) मस्जिद मामले की सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की अनुमति देने वाले आदेश पर रोक लगा दी है। मुस्लिम पक्ष के हुजैफा अहमदी ने हाईकोर्ट के कार्बन डेटिंग के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे। अब इस पर अगली सुनवाई तक रोक लग गई है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के निहितार्थों की बारीकी से जांच की आवश्यकता होगी। आदेश में संबंधित निर्देशों का कार्यान्वयन अगली तारीख तक स्थगित रहेगा। ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष के हुजैफा अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि हाई कोर्ट के कार्बन डेटिंग के आदेश के खिलाफ हम यहां आए हैं। अहमदी ने कहा कि कार्बन डेटिंग 22 तारीख को शुरू हो सकती है। ऐसे में रोक लगाए जाने की जरूरत है.
क्या बोले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ?
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या आप निर्देश लेना चाहते हैं? तुषार मेहता ने कहा कि अगर सर्वे के दौरान स्ट्रक्चर को कुछ नुकसान होता है तो बेहतर हो सकता है कि आपकी लॉर्डशिप इस पर फैसला करे। उन्होंने कहा कि हम ये देखेंगे कि क्या कोई और तकनीक है।
कार्बन डेटिंग क्या है?
कार्बन डेटिंग से कार्बनिक पदार्थों की आयु निकाली जाती है। यह एक प्रकार की वैज्ञानिक विधि है, जिसके जरिए किसी पुरानी वस्तु की आयु निर्धारित की जाती है। इससे उन प्राचीन वस्तुओं का काल निर्धारण होता है जो कभी जीवित थी। मसलन बाल, कंकाल, चमड़ी आदि, इसके सर्वे से पता चलता है कि ये कितने साल पहले जीवित थीं। दरअसल किसी भी सजीव वस्तु पर कालांतर मेंं कार्बन जमा हो जाता है। समय बीतने के साथ ही साल दर साल उस वस्तु पर कार्बनिक अवशेष परत दर परत जमा होते जाते हैं।
50 हजार साल पुराने अवशेष के बारे में पता लगा सकते हैं :
जानकारी के अनुसार कार्बन डेटिंग से करीब 50 हजार साल पुराने किसी अवशेष के बारे में पता लगाया जा सकता है। बाल, कंकाल, चमड़ी के अलावा ईंट और पत्थरों की भी कार्बन डेटिंग होती है। इस विधि से उनकी आयु का भी पता लगाया जा सकता है।