Khabarwala 24 Light That Affects Sleep or Body : Eyes नए शोध में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि रोशनी का कम ज्यादा होना हमारे देखने की क्षमता ही नहीं बल्कि हमारी नींद और शरीर पर भी असर डालता है. रोशनी की चमक ही दोनों के लिए मायने रखती है. जहां नींद और शरीर की आंतरिक घड़ी पर रोशनी का असर होता है, इसका रंगों से किसी तरह से लेना देना नहीं है. जबकि इससे पहले एक अध्ययन में पीले और नीले रंग की रोशनी के असर का अध्ययन हुआ था. इंसान के देखने की प्रक्रिया सबसे जटिल तरीके से काम करती है।
सूर्योदय और सूर्यास्त के आसपास बदलाव (Eyes)
बेसल यूनिवर्सटी के डॉ क्रिस्टीन ब्लूम का दावा है कि चमक और रंग में सबसे ज्यादा बदलाव सूर्योदय और सूर्यास्त के आसपास होता है जो दिन के शुरू और खत्म होने के दिन का संकेत है. वास्तव में शरीर के अंदर की घड़ी और नींद के चक्र पर रोशनी का रंग बेअसर रहता है. नीला या पीला रंग आंतरिक घड़ी और नींद पर बड़ा असर नहीं डालता है, जबकि चूहों पर हुए अध्ययन में असर को देखा जा चुका था।
रंग व चमक में “डीकोड” करता है दिमाग (Eyes)
आंखों पर पड़ने वाली अलग-अलग रंग की तरंगें पहले “इलेक्ट्रिक इम्पल्स” में बदलती हैं जिन्हें हमारा दिमाग रंग और चमक में “डीकोड” करता है. इंसान की आंखों पर रंग के प्रभाव को समझने को के लिए हमें समझना होगा कि आंखें काम कैसे करती हैं. आंख के अंदर रेटीना के फोटोरिसेप्टर, जिन्हें कोन कहते हैं, पर्याप्त रोशनी में रंग के विस्तार से नजारे को समझने में मदद करते हैं।
समझने का काम होता है विजुअल कॉर्टेक्स (Eyes)
इसके अलावा रेटीना में रॉड्स भी होते हैं जो कम रोशनी में देखने में भूरे रंग के अलग शेड़्स में अंतर कर नजारे को समझने में मदद करते हैं. हां, लेकिन इसमें दृश्य सटीक तौर से नहीं दिखता है. विद्युत आवेग रेटीना की गैंगलियोन कोशिकाओं से संचारित होते हैं और दिमाग के विजुअल कॉर्टेक्स में उनको समझने का काम होता है जिससे नजारा समझने की प्रक्रिया पूरी होती है