Sunday, October 6, 2024

CNS Tuberculosis सीएनएस ट्यूबरक्लोसिस की चुनौतियों और समाधान विषय पर आयोजित हुआ सम्मेलन, विस्तार से की गई चर्चा

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Khabarwala 24 News New Delhi: CNS Tuberculosis दिल्ली में न्यूरोसर्जरी, न्यूरोलॉजी, श्वसन चिकित्सा, क्रिटिकल केयर, रेडियोलॉजी एवं अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने सेंट्रल नर्वस सिस्टम (सीएनएस) ट्यूबरक्लोसिस की समस्या के समाधान में आने वाली चुनौतियों के बारे विस्तार से चर्चा की। बता दें कि सीएनएस ट्यूबरकुलोसिस चुनौतियां और समाधान पर विचार-विमर्श करने के लिए वरिष्ठ डॉक्टरों की एक टीम द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर के चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों और गणमान्य लोगों ने भाग लिया।

बेहद भयावह नैदानिक लक्षण नजर आते ​​हैं (CNS Tuberculosis)

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है, जिससे हर साल लगभग 220000 मौतें होती हैं। 2020 में, भारत सरकार ने 2025 तक देश से टीबी को खत्म करने के महत्वाकांक्षी उद्देश्य के तहत राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया। सेंट्रल नर्वस सिस्टम (सीएनएस) की भागीदारी में बेहद भयावह नैदानिक लक्षण नजर आते ​​हैं। यह 5 से10 प्रतिशथ एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी के मामलों में देखा जाता है और सभी टीबी मामलों में से लगभग 1 प्रतिशत होता है।

विशिष्ट परिणामों की कमी के कारण इसका अनुपालन भी जटिल (CNS Tuberculosis)

विशेषज्ञ इस बात को मानते हैं कि सीएनएस टीबी का प्रबंधन मानव शरीर में अन्य जगहों की टीबी से काफी हद तक अलग है और इसकी तुलना में इसकी मृत्यु दर और रोगों की संख्या बहुत अधिक है। सीएनएस टीबी के प्रबंधन में सबसे बड़ी समस्या इसके लक्षण और संकेतों में कमी के कारण देरी से मूल्यांकन है। विशिष्ट रेडियोलॉजिकल फीचर की कमी के कारण उपचार भी मुश्किल है और विशिष्ट परिणामों की कमी के कारण इसका अनुपालन भी जटिल है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से तैयार किया एल्गोरिदम (CNS Tuberculosis)

सम्मेलन में विशेषज्ञों ने कहा कि इनमें से कुछ मामले के हल लिए उन्होंने एक क्लिनिकल ​​​​स्कोरिंग सिस्टम तैयार की है जो किसी भी डॉक्टर की देख-रेख में अच्छी तरह से अपनाए जाने और आसानी से प्रयोग करने योग्य है। इसे पूर्वानुमानित महत्व देने के लिए बनाया गया है जिससे टीबी होने की संभावना वाले मरीजों की पहचान की जा सके और उसके अनुसार जांच की जा सके। एक समान रेडियोलॉजिकल ग्रेडिंग की गई है, और परिणामों को प्रयोग में आसानी और संपूर्णता दोनों के लिये परिभाषित किया गया है। इन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से तैयार किया गया है और एक एल्गोरिदम बनाया गया है।

सर्जरी की नई तकनीक पर चर्चा की (CNS Tuberculosis)

कार्यक्रम में भारत की एक नई सर्जरी तकनीक पर भी चर्चा की गई क्योंकि कुछ रोगियों को सर्जरी की आवश्यकता होती है और यह नई स्वदेशी तकनीक दुनिया भर में प्रकाशित और स्वीकार की गई है, जिससे रोगी के परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार दिख रहा है।ब्रेन शंट प्रबंधन के लिए अनुसंधान अनुदान की घोषणा किया जाना इस आयोजन का मुख्य आकर्षण रहा। मस्तिष्क ऑक्सीजनेशन को मापने की एक नवीन नवाचार पद्धति पर चर्चा की गई, जिसके लिए टीम को सर गंगा राम अस्पताल के अनुसंधान विभाग द्वारा अनुसंधान अनुदान से सम्मानित किया गया है, जहां टीम के डॉक्टर इन स्तरों को मापते हैं जो उन्हें ब्रेन शंट प्रबंधन के परिणाम की भविष्यवाणी करने में सहायता करते हैं। आयोजक टीम के सदस्यों ने बताया कि इस पर शोध जारी है। अनुसंधान पुरस्कार की घोषणा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सर गंगा राम अस्पताल के न्यासी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. डीएस राणा ने की।

दो भागों में विभाजित किया कार्यक्रम (CNS Tuberculosis)

पूरे कार्यक्रम को दो भागों में विभाजित किया गया, जिसके पहले भाग में छह व्यक्तिगत वक्ता प्रस्तुतियों को शामिल किया गया, जिसके बाद छह वार्ताओं में उठाई गई समस्या के समाधान के संदेश पर एक प्रस्तुति दी गई। इसके बाद, ब्रेन टीबी शंट प्रबंधन में आने वाली विशिष्ट समस्याओं से संबंधित विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा एक पैनल चर्चा की गई।

ब्रेन शंट प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताया (CNS Tuberculosis)

आयोजक टीम के प्रमुख सदस्यों में से एक और सर गंगा राम अस्पताल में न्यूरोसर्जरी के वरिष्ठ सलाहकार और प्रोफेसर, डॉ. समीर कालरा ने ब्रेन शंट प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, दिमाग को प्रभावित करने वाली सबसे आम स्थितियों में से एक हाइड्रोसिफ़लस है जिसका मतलब बढ़ी हुई सामान्य मस्तिष्क द्रव की मात्रा है, जिसे सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूड (मस्तिष्कमेरु द्रव) के रूप में जाना जाता है। इस स्थिति का उपचार एक शंट ट्यूब द्वारा किया जाता है जो इस अतिरिक्त तरल पदार्थ को एबडोमिनल केविटी(पेट की गुहा) में ले जाता है और मस्तिष्क के दबाव को सामान्य कर देता है। यह ट्यूब आमतौर पर पेट के अंत में अवरोधित हो जाती है और उस स्थिति में, दोबारा सर्जरी की जाती है। ऐसा 10 से 20 प्रतिशत ऑपरेशन वाले मरीजों में होता है।

अंत में डॉ. कालरा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी तरह से स्वीकृत, प्रस्तुत और प्रकाशित हमारी तकनीक, लेप्रोस्कोपिक सहायता का उपयोग करती है और इस जटिलता दर को लगभग 1 से 5 प्रतिशत तक कम कर देती है।

यह रहे मौजूद (CNS Tuberculosis)

कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञ वक्ताओं में डॉ. ज्योति जाजू (प्रोजेक्ट डायरेक्टर, आईडीईएफईटी टीबी प्रोजेक्ट), डॉ. ध्रुव चौधरी (पीजीआईएमएस रोहतक), डॉ. गुंजन सोनी (एसपी मेडिकल कॉलेज, बीकानेर), डॉ. राजेश आचार्य (सर गंगा राम हॉस्पिटल-एसजीआरएच), डॉ. प्रकाश शास्त्री (एसजीआरएच), डॉ. राजीव रंजन (एसजीआरएच), डॉ. अरुणव शर्मा (एसजीआरएच), डॉ. निश्चिंत जैन (अपोलो हॉस्पिटल), डॉ. राजीव आनंद (बीएलके मैक्स हॉस्पिटल), डॉ. रबी नारायण साहू (एम्स भुवनेश्वर), और डॉ. सोनल गुप्ता (फोर्टिस) सहित अन्य शामिल रहे।

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