Khabarwala 24 News New Delhi : Chandrayan Miracle भारत ने बीते साल अगस्त में चंद्रयान मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। भारत के चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता पूर्वक लैंडिंग की थी। इसके बाद जापान ने भी अपने मून मिशन के तहत चंद्रयान को लॉन्च किया था, लेकिन लैंडिंग सही से नहीं हो पाई थी। इसके बाद से यह माना जा रहा था कि जापानी चंद्रयान ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह सकेगा। हालांकि चंद्रमा पर चमत्कार हो गया कि जापनी चंद्रयान तीसरी बार फिर जीवित हो गया और उसने तस्वीरें भेजी हैं। इसे लेकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं। बता दें कि भारतीय चंद्रयान-3 के चांद पर सफल लैंडिंग को लेकर दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने इसरो की प्रशंसा की थी।
यान शियोली क्रेटर के पास उतरा था (Chandrayan Miracle)
जापानी एयरोस्पेस एजेंसी के मुताबिक, कि जापानी चंद्रयान यानी स्नाइपर लैंडर ने 19 जनवरी को चंद्रमा की सतह पर लैंड हुआ था। इसके बाद चंद्रमा पर लैंडिग करने वाला जापान पांचवां देश बना गया था। ये जापानी अंतरिक्ष यान शियोली क्रेटर के पास उतरा था, जो चंद्र भूमध्य रेखा के निकट दक्षिण में स्थित है। बताया जा रहा है कि इसी शियोली क्रेटर के पास सबसे पहले अपोलो 11 ने इंसानों को चंद्रमा पर उतारा था, लेकिन वैज्ञानिक के अनुसार सबकुछ नहीं हो सका था।
लैंडिंग के समय हो गई थी कुछ गड़बड़ी (Chandrayan Miracle)
लैंडिंग के समय जापनी अंतरिक्ष यादव में कुछ गड़बड़ी हो गई थी, उसके सौर पैनल सीधे होने के बयाय पश्चिम दिशा की ओर थे, जिस वजह से उसे सूर्य का प्रकाश नहीं मिल पा रहा था। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना था कि लैंडर के पास बंद होने से पहले तस्वीरें भेजने के लिए पर्याप्त ऊर्जा थी। इसलिए जापानी एयरोस्पेस की टीम को विश्वास था कि सूरज की रौशनी पहुंचते ही उनका अंतरिक्ष यान जीवित हो सकता है और हुआ भी यही। अब जापानी चंद्रयान तीसरी बार जीवित हो गया है और तस्वीरें भी भेजने लगा है। इस घटना को लेकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं।
133 डिग्री से नीचे चंद्रमा का तापमान (Chandrayan Miracle)
विशेषज्ञों के मुताबिक, चंद्रमा पर 14 दिनों तक अंधेरा रहता है, जिससे तापमान काफी कम हो जाता है। तापमान के कम होने के कारण चंद्रमा पर मून मिशन के ज्यादा लंबे समय तक चलने की उम्मीद नहीं रहती है। चंद्रमा पर जब रात होती है, तब वहां पर तापमान शून्य से 133 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है। जापानी चंद्रयान यानी स्नाइपर लैंडर को ऐसा डिजाइन नहीं किया गया था कि वह इन परिस्थितियों को झेल सके। दरअसल इन परिस्थितियों में कोई भी मिशन एक दिन से ज्यादा चंद्रमा पर टिक नहीं पाता है।