Khabarwala 24 News New Delhi : Chant Mantras Get Success मंत्र शक्ति का रहस्य हमारे वेद और पुराणों में मिलता है। अभ्यास से मंत्र सिद्ध हो जाते हैं। हालांकि यह अभ्यास पर निर्भर करता है कि कौन किस तरह का और किस हेतु अभ्यास कर रहा है। मंत्र एक विशेष प्रकार की ध्वनि होती है। यदि मंत्र विशेष प्रकार का होकर किसी देवी या देवता है तो भी यह प्रभाव देने वाला होता है। तंत्रानुसार देवता के सूक्ष्म शरीर को या इष्ट देव की कृपा को मंत्र कहते हैं। दिव्य-शक्तियों की कृपा को प्राप्त करने में उपयोगी शब्द शक्ति को ‘मंत्र’ कहते हैं। अदृश्य गुप्त शक्ति को जागृत करके अपने अनुकूल बनाने वाली विद्या को मंत्र कहते हैं। अंत में इस प्रकार गुप्त शक्ति को विकसित करने वाली विद्या को मंत्र कहते हैं।
मंत्र सिद्ध करें (Chant Mantras Get Success)
रामचरित मानस में मंत्र जप को भक्ति का 5वां प्रकार माना गया है। मंत्र जप से उत्पन्न शब्द शक्ति संकल्प बल तथा श्रद्धा बल से और अधिक शक्तिशाली होकर अंतरिक्ष में व्याप्त ईश्वरीय चेतना के संपर्क में आती है, जिसके फलस्वरूप मंत्र का चमत्कारिक प्रभाव साधक को सिद्धियों के रूप में मिलता है।
मंत्रों का चयन (Chant Mantras Get Success)
मंत्र जप के लिए मंत्रों के मंत्रलिंग का चयन जरूरी होता है, क्योंकि इसी से पता चलता है कि आप क्या करना चाहते हैं। मंत्रलिंग 3 प्रकार के होते हैं- 1. स्त्रीलिंग, 2. पुल्लिंग और 3. नपुंसकलिंग। स्वाहा से अंत होने वाले मंत्र स्त्रीलिंग हैं, हूं फट् वाले पुल्लिंग और नमः अंत वाले नपुंसक हैं। कुछ मंत्र होते हैं जिनमें यह तीनों नहीं होते हैं। जैसे राम, ऐसे मंत्र चमत्कारी होते हैं।
मंत्रों के प्रकार (Chant Mantras Get Success)
1. वैदिक, 2. पौराणिक और 3. साबर।
कुछ विद्वान इसके प्रकार अलग बताते हैं- 1. वैदिक, 2. तांत्रिक और 3. साबर।
वैदिक मंत्र के प्रकार- 1. सात्विक और 2. तांत्रिक।
वैदिक मंत्रों के जप के प्रकार (Chant Mantras Get Success)
1. वैखरी: उच्च स्वर से किए जा रहे जप को वैखरी मंत्र जप कहते हैं।
2. मध्यमा: जिस मंत्र को जपने में होंठ नहीं हिलते हो, बस जिह्वा हिलती हो और दूसरा कोई सुन नहीं सकता हो उसे मध्यमा कहते हैं।
3. पश्यन्ति: जिस जप में जिह्वा भी नहीं हिलती और हृदयपूर्वक जप होता है तो ऐसे जप के अर्थ में हमारा चित्त तल्लीन होता जाता है, उसे पश्यंती मंत्र जाप कहते हैं।
4. परा: पश्यन्ति की तरह से मंत्र जपते हुए जब हमारी वृत्ति स्थिर होने की तैयारी हो, मंत्र जप करते-करते आनंद आने लगे तथा बुद्धि परमात्मा में स्थिर होने लगे तो उसे परा मंत्र जप कहते हैं।
मंत्र की सिद्धि (Chant Mantras Get Success)
पश्यन्ति जप से ही मंत्र सिद्ध होने लगते हैं। वैखरी से भी 10 गुना ज्यादा प्रभाव मध्यमा में होता है। मध्यमा से 10 गुना प्रभाव पश्यंती में तथा पश्यंती से भी 10 गुना ज्यादा प्रभाव परा में होता है। इस प्रकार परा में स्थित होकर जप करें तो वैखरी का हजार गुना प्रभाव हो जाएगा।
पौराणिक मंत्र जप के प्रकार (Chant Mantras Get Success)
1. वाचिक : यदि मंत्र को कोई दूसरा सुन रहा है तो उसे वाचिक जप कहते हैं। यह वैखरी की तरह है।
2. उपांशु : यदि मंत्र को हृदय में जपा जाता है, उसे उपांशु जप कहते हैं। यह मध्यमा की तरह है।
3. मानसिक : जिसका मौन रहकर जप चलता रहे, उसे मानसिक जप कहते हैं। यह पश्यन्ति और परा की तरह है।
कब होता है (Chant Mantras Get Success)
1. जब आप सो जाएं और नींद में भी मंत्र चलता रहे तो समझना चाहिए कि मंत्र सिद्ध हो गया है। 2. मन को नियंत्रित करके उसे एक तंत्र में लाने के लिए ही मंत्र जप करते हैं। मन जब मंत्र के अधीन हो जाता है, तब वह सिद्ध होने लगता है। 3. जब आपके श्राप और वरदान फलित होने लगे तो समझना चाहिए कि मंत्र सिद्ध हो गया है।
सकारात्मक (Chant Mantras Get Success)
4. मंत्रों की ध्वनि से हमारे स्थूल और सूक्ष्म शरीर दोनों सकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। 5. सिद्ध मंत्र से मन व मस्तिष्क से निकली इच्छाएं फलित होने लगती हैं। 6. मंत्र मनुष्य की सोई हुई सुषुप्त शक्तियों को सक्रिय कर देता है। 7. शास्त्रकार कहते हैं- ‘मननात् त्रायते इति मंत्र:’ अर्थात मनन करने पर जो त्राण दे या रक्षा करे वही मंत्र है। कई लोग मंत्र शक्ति के द्वार घटना, दुर्घटना या बुरी शक्तियों से बचने का उपाय भी करते हैं।