Khabarwala 24 News Hapur : उत्तर प्रदेश के हापुड़ (Hapur) में मोनाड विश्वविद्यालय (Monad University) के फर्जी मार्कशीट और डिग्री घोटाले में शुक्रवार को जनपद न्यायाधीश अजय कुमार द्वितीय ने नौ आरोपियों अनिल बत्रा, नितिन कुमार, इमरान, विपिन चौधरी, कुलदीप सिंह, सन्नी कश्यप, गौरव शर्मा, संदीप कुमार सहरावत, और मुकेश ठाकुर की जमानत याचिका खारिज कर दी। इससे पहले बुधवार को मुख्य आरोपी विजेंद्र सिंह उर्फ विजेंद्र सिंह हुड्डा की जमानत भी खारिज हो चुकी है।
न्यायालय ने दिया आदेश (Hapur)
जिला शासकीय अधिवक्ता गौरव नागर ने बताया कि न्यायालय ने आदेश कहा है कि अभियुक्तों ने मोनाड विश्वविद्यालय (Monad University) के कथित चांसलर व मालिक मुख्य अभियुक्त विजेन्द्र सिंह उर्फ विजेन्द्र सिंह हुड्डा के साथ मिलकर एक संगठित अपराध के सिंडिकेट के रूप में आर्थिक लाभ के लिए मोनाड विश्वविद्यालय (Monad University) की फर्जी मार्कशीटें, फर्जी डिग्रियां व फर्जी सत्यापन की कार्यवाही को इस प्रकार संचालित किया, जिससे न केवल छात्रों का भविष्य खराब हो रहा है, बल्कि विभिन्न वैधानिक संस्थाओं और राष्ट्र के लिए अत्यन्त हानि हो रही है। विवेचक द्वारा अभियुक्त व अन्य सह अभियुक्तगण द्वारा मोनाड विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट व डिग्री तैयार कर उनका फर्जी सत्यापन करने का साक्ष्य संकलित किया गया है।
अत्यंत गंभीर प्रकृति का अपराध (Hapur)
जिला शासकीय अधिवक्ता गौरव नागर ने बताया कि जिला न्यायाधीश ने आदेश में यह भी कहा है कि अभियुक्त व अन्य सह अभियुक्तगण ने एक-दूसरे के साथ मिलकर अवैध धन कमाने के उद्देश्य से फर्जी मार्कशीट व डिग्रियां अयोग्य छात्रों को बेची हैं और उनके द्वारा अयोग्य होते हुए भी विभिन्न संस्थानों में नौकरियां प्राप्त की गई और विश्वविद्यालय द्वारा उनके फर्जी दस्तावेजों का फर्जी सत्यापन किया गया है।
प्रथम दृष्टया अभियुक्त द्वारा विश्वविद्यालय की बी.ए., एल.एल.बी., बी.एस.सी., एम.एस. सी., बी.ए.एल.एल.बी., बी.कॉम, बी. फार्मेसी, बी.एड, एम.ए, बी.टेक, बी.ई.एल.ई.डी, बी.बी.ए आदि महत्वपूर्ण विभिन्न पाठ्यक्रमों की फर्जी डिग्रियां व फर्जी मार्कशीटें, छापकर उन्हें भिन्न-भिन्न व्यक्तियों को बेचकर उनका फर्जी सत्यापन करते हुए एक ऐसा संगठित आर्थिक अपराध कारित किया जा रहा है जो अत्यन्त गंभीर प्रकृति का है।
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जमानत याचिका को किया निरस्त (Hapur)
आदेश में कहा गया है कि अभियुक्त की विस्तृत भूमिका के साथ-साथ, उन लाभार्थियों की भी जांच किया जाना है, जिनके द्वारा फर्जी डिग्री व फर्जी मार्कशीट खरीदकर विभिन्न संस्थाओं में नौकरियां प्राप्त की गयी है या भिन्न-भिन्न वैधानिक संस्थाओं में अपने कार्य प्रारम्भ किए गए हैं या अपने स्वयं के व्यवसाय स्थापित किए गए हैं। ऐसी परिस्थितियों में अभियुक्तों को उपरोक्त समग्र जांच पूर्ण होने से पहले जमानत पर छोड़े जाने से, विवेचना के साथ-साथ गवाहान को प्रभावित किए जाने की प्रबल सम्भावना का दृष्टिगत गोचर प्रतीत होता है। प्रथम दृष्टया अभियुक्त को झूठा फंसाये जाने का कोई आधार दर्शित नहीं होता है।
अतः उपरोक्त समस्त तथ्यों, परिस्थितियों तथा अपराध की गम्भीरता को दृष्टिगत रखते हुए, बिना गुण दोष पर कोई टिप्पणी किये अभियुक्त को जमानत पर रिहा किये जाने का पर्याप्त आधार नहीं पाया जाता है। अभियुक्तों की ओर से प्रस्तुत नियमित जमानत प्रार्थनापत्र निरस्त किये जाने योग्य पाया जाता है।

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