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Hapur श्री मद्भागवत भागवत कथा, भगवान नाम का जाप करने का अभ्यास

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Khabarwala 24 News Hapur: Hapur जिस जीभ से भगवान का नाम जप किया जा रहा है उसी जीभ से अगर हम संत, महापुरुषों की या श्रेष्ठ जनों की निंदा करते हैं तो नाम जप का लाभ नहीं मिलता। जिस वाणी से भगवान का गुणगान किया जा रहा है उस जीभ से मांस, मदिरा, तामसिक पदार्थों का सेवन करते रहने से नाम जप या मंत्र जाप का फल नहीं मिलता।

बिना नाम जप का फल नहीं मिलता (Hapur)

उक्त प्रवचन श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथा वाचक पंडित संतोष तिवारी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि दस प्रकार के नामापराध बताए गए हैं, जिनमें सर्वप्रथम अपराध है सत्पुरुषों की निंदा। वहीं चार प्रकार के पाप वाणी के बताए गए हैं। किसी के प्रति कठोर वचन बोलना, निंदा करना, चुगली करना और झूठ बोलना। इनका त्याग किए बिना नाम जप का फल नहीं मिलता, इसीलिए अधिकांशत नाम कीर्तन आदि के द्वारा जो लाभ मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रहा है, इसलिए भक्तों को अपराध से बचते हुए भगवान नाम का जाप करने का अभ्यास करना चाहिए।

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अपना सर्वस्व भगवान वामन को समर्पण कर दिया (Hapur)

उन्होंने कहा कि राजा बलि ने अपना सर्वस्व भगवान वामन को समर्पण कर दिया और भगवत प्राप्ति में अगर गुरु सहायक बने तभी गुरु प्रथम वंदनीय हैं। लेकिन अगर गुरु हमारे दान, जप, यज्ञ, सत्कर्म में बाधक बने अथवा शास्त्र विपरीत कर्म करने का आदेश दें, भगवान से विमुख करें तो ऐसे गुरु को त्यागने में दोष नहीं है।

यह रहे मौजूद (Hapur)

इस मौके पर अमित गोयल सिंपल, विकास गोयल, अभय़ गोयल, कुबेर गोयल,  नितिन गोयल, महेंद्र जैन, हरिओम, अनुराग, संजय, अमित शर्मा मौजूद रहे।

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