Khabarwala 24 News New Delhi: Gadhimai Mandir Nepal Blood Festival बीते दिन बिहार और नेपाल के बॉर्डर पर 400 पशुओं को रेस्क्यू किया गया। सशस्त्र सीमा बल (SSB), बिहार पुलिस, पीपल फॉर एनिमल्स (PFA) और ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेसनल (HSI) ने मिलकर 400 जानवरों को बॉर्डर क्रॉस करने से रोक लिया। इन जानवरों में 74 भैंसें और 326 बकरियां शामिल थीं। क्या आप जानते हैं कि इन जानवरों को कहां ले जाया जा रहा था?
ढाई लाख जानवरों की 2 दिन में बलि चढ़ी (Gadhimai Mandir Nepal Blood Festival)
इन जानवरों को नेपाल ले जाया जा रहा था, जहां उनकी बलि दी जानी थी। जी हां, पिछले 2 दिन में 2.5 लाख से ज्यादा जानवरों की बलि दी जा चुकी है। इन जानवरों में भैंस, बकरी, सुअर, चूहे और कबूतर जैसे जानवर शामिल थे। नेपाल में मनाए जाने वाले इस त्योहार को गढ़ीमाई त्योहार के रूप में जाना जाता है। दुनिया के कई देश इसे ब्लड फेस्टिवल
कहां है गढ़ीमाई मंदिर? (Gadhimai Mandir Nepal Blood Festival)
नेपाल की राजधानी काठमांडू से करीब 160 किलोमीटर दूर बरियापुर गांव स्थित है। इसी गांव में है माता गढ़ीमाई का मंदिर। इस मंदिर में हर ५ साल में एक बार गढ़ीमाई त्योहार मनाया जाता है। इस दौरान लाखों जानवरों की बलि दी जाती है। ह्यमेन सोसाइटी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार 2009 में यहां 5 लाख से ज्यादा जानवरों की बलि चढ़ाई गई थी। 2014 और 2019 में भी ढाई लाख से ज्यादा जानवर बलि की भेंट चढ़ गए थे।
गढीमाई मन्दिर, बारा 🙏 pic.twitter.com/LJXfisLdxh
— Mukesh Ghimire (@mukesh_Sindhuli) December 7, 2024
बलि चढ़ाने की क्या है मान्यता (Gadhimai Mandir Nepal Blood Festival)
यह त्योहार सदियों पुराना है। आज से लगभग 265 साल पहले 1759 में पहली बार यह त्योहार मनाया गया था। मान्यताओं की मानें तो गढ़ीमाई मंदिर के संस्थापक भगवान चौधरी को एक रात सपना आया। सपने में गढ़ीमाई माता ने उन्हें जेल से छुड़ाने, सुख और समृद्धि से बचाने के लिए इंसान की बलि मांगी है। भगवान चौधरी ने इंसान की बजाए जानवर की बलि दी और तभी से गढ़ीमाई मंदिर में हर 5 साल बाद लाखों जानवरों की बलि चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।
शक्तिपीठों में से एक है ये मंदिर (Gadhimai Mandir Nepal Blood Festival)
दुनिया के कई बड़े देश और संगठन इस त्योहार की निंदा कर चुके हैं। कई हेल्थ एक्टिविस्ट इस त्योहार की निंदा कर चुके हैं। बता दें कि इस साल गढ़ीमाई त्योहार 16 नवंबर से 15 दिसंबर तक मनाया जा रहा है। कल यानी रविवार को गढ़ीमाई त्योहार का आखिर दिन है। इस त्योहार में हिस्सा लेने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु गढ़ीमाई मंदिर आते हैं। चीन, अमेरिका और यूरोप के भी कई लोग इस त्योहार में शिरकत करते हैं। गढ़ीमाई त्योहार का आगाज पुजारी अपना खून चढ़ाकर करते हैं। इस मंदिर को नेपाल के शक्तिपीठों में से एक माना गया है।