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Hapur राखी हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में पुलिस को सात दिन तक करनी पड़ी मशक्कत, सौ कैमरों की जांच करने पर खुला राज

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Khabarwala 24 News Hapur: Hapur लाल रंग के सूटकेस में महिला के शव की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस को दिन रात काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस ब्लाइंड मर्डर को लेकर पुलिस का सिरदर्द सात दिनों पर हाई रहा। लेकिन टोल प्लाजा पर लगे कैमरों की जांच करने पर हत्याकांड का पर्दाफाश हो गया।

करीब सौ कैमरों की फुटेज की जांच के बाद पुलिस को एक कार में लाल रंग का बैग रखा दिखाई दिया। इसके बाद सूटकेस के संबंध में सुराग लगा और पुलिस हत्यारे पति तक पहुंची। मामले में पुलिस मृतका राखी के आरोपी पति के साथ शव को ठिकाने लगाने में शामिल उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि आरोपी जीजा अभी फरार है।जिसकी पुलिस तलाश कर रही है।

क्या था पूरा मामला (Hapur)

16 नवंबर को नगर कोतवाली क्षेत्र के अन्तर्गत हाईवे-9 बाईपास के किनारे बाईपास के किनारे सूटकेस में करीब 30 वर्षीय महिला का शव लाल रंग के सूटकेस में पड़ा मिला था। पुलिस की 3 टीम जांच में जुट गई थीं। पुलिस ने शनिवार को एक सप्ताह बाद हत्या का खुलासा करते हुए महिला के शव की शिनाख्त राखी पत्नी नागेंद्र उर्फ अंशुल निवासी जिला सीतापुर व हाल पता राजीव चौक गुरुग्राम के रूप में हुई थी।

पुलिस ने पति को शनिवार को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। कई खुलासे किए गए और हत्या के बाद शव को ठिकाने लगाने में सहायक पिता रमेश चौरसिया को भी गिरफ्तार कर लिया। जबकि जीजा धीरज अभी फरार है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। शव को ठिकाने लगाने में शामिल बाइक और टैक्सी कार को भी बरामद कर लिया गया है।

क्या बोले एसपी (Hapur)

एसपी ज्ञानंजय सिंह ने बताया कि मृतक राखी ने नागेंद्र से प्रेम विवाह किया था। इसके कारण उसके परिजन भी उससे कभी कभी ही बात करते थे। दोनों गुरुग्राम की एक ही कंपनी में नौकरी करते थे। आपसी विवाद होने पर 14 नवंबर को पति नागेंद्र उर्फ अंशुल ने पहले मुंह दबाया।

उसके बाद गला दबाकर हत्या कर दी थी। इसके बाद शव को ठिकाने लगाने के लिए अंशुल ने मार्केट से लाल रंग का नया सूटकेस खरीदा। उसके बाद शव को सूटकेश के अंदर पैक कर दिया, जिससे किसी को शक ना हो। उसके बाद अंशुल ने अपने पिता रमेश और जीजा धीरज को सूचना दी।

पिता और जीजा से नहीं थी बोलचाल (Hapur)

पुलिस के अनुसार राखी अपने पति नागेंद्र को परिजनों से वास्ता नहीं रखने देती थी। यही कारण था कि वह छह महीने पहले अपनी बहन की शादी में भी शामिल नहीं हुआ था। पिता से भी उसकी बात नहीं होती थी और नाराजगी थी। लेकिन जब नागेंद्र ने पिता और जीजा धीरज को राखी की हत्या की बात बताई तो दोनों शव को ठिकाने लगाने को तैयार हो गए। नागेंद्र ने तीन हजार रुपये में कैब बुक की और जीजा साले बाइक से सूटकेस में शव को लेकर कार तक पहुंचे और पिता को सूटकेस के साथ कार में बिठा दिया।

जंगल में रुकवाई कार, ड्राइवर को हुआ था शक (Hapur)

नागेंद्र के पिता ने हापुड़ पहुंचने पर कार को जंगल में रुकवाया था। इसके बाद ड्राइवर को शक हुआ था और उसने नागेंद्र को फोन कर पूछा था कि उनके पिता जंगल में उतर गए हैं। इस पर नागेंद्र ने कार चालक को यह कहकर वापस आने के लिए कहा था कि पीछे से दूसरी कैब आ रही है, जिसमें सवार होकर वे आगे निकल जाएंगे। लेकिन कार की पिछली सीट पर रखा लाल सूटकेस कैमरे की जद में आ गया और पुलिस आरोपियों तक पहुंच गई।

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