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Financial Crisis HP हिमाचल प्रदेश में ऐतिहासिक संकट: कर्मचारियों और पेंशनर्स को 1 तारीख को सैलरी नहीं मिली

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Khabarwala 24 News New Delhi : Financial Crisis HP हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स को 1 तारीख को सैलरी और पेंशन नहीं मिल पाई। राज्य में मौजूदा आर्थिक संकट के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है, जिससे कर्मचारियों और पेंशनर्स के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बता दें कि, 2022 के चुनाव में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने कई बड़े वादे किए थे। सरकार में आने के बाद इन वादों पर बेतहाशा खर्च किया जा रहा है। हिमाचल सरकार के बजट का 40 फीसदी तो सैलरी और पेंशन देने में ही चला जाता है। लगभग 20 फीसदी कर्ज और ब्याज चुकाने में खर्च हो जाता है।

हिमाचल प्रदेश पर इतना कर्ज (Financial Crisis HP)

वर्तमान में लगभग 94 हजार करोड़ का भारी कर्ज है। इस वित्तीय बोझ ने राज्य की वित्तीय स्थिति को अत्यधिक कमजोर कर दिया है, जिसके कारण सरकार को पुराने कर्ज चुकाने के लिए नए कर्ज लेने पड़ रहे हैं। कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए राज्य सरकार पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारियां बकाया हैं। इस राशि का भुगतान न कर पाने की स्थिति में सरकार को भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को आज भी सैलरी-पेंशन न मिलने के आसार दिख रहे हैं।

सरकार ने किया था ये ऐलान (Financial Crisis HP)

हिमाचल प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति को देखते हुए सरकार ने बीते दिनों बड़ा फैसला लिया था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को एलान किया था कि मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव, बोर्ड निगमों के चेयरमैन दो महीने तक वेतन-भत्ता नहीं लेंगे। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से भी वेतन-भत्ता दो महीने के लिए छोड़ने की मांग रखी थी। सीएम सुक्खू का कहना है कि चूंकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए वो दो महीने के लिए वेतन-भत्ता छोड़ रहे हैं।

बीजेपी पर लगाए थे आरोप (Financial Crisis HP)

विधायकों से मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि हो सके तो दो महीना एडजस्ट कर लीजिए. अभी वेतन-भत्ता मत लीजिए। आगे देख लीजिएगा। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बीते दिनों कहा था, ‘हमें पिछली भाजपा सरकार द्वारा छोड़ा गया कर्ज विरासत में मिला है, जो राज्य को फाइनेंशियल इमरजेंसी में धकेलने के लिए जिम्मेदार है। हमने राजस्व प्राप्तियों में सुधार किया है। पिछली सरकार ने पांच साल में 665 करोड़ का आबकारी राजस्व एकत्र किया था और हमने सिर्फ एक साल में 485 करोड़ कमाए।

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