Khabarwala 24 News New Delhi : worlds cleanest river आज इंटरनेशनल डे ऑफ एक्शन फॉर रिवर है। यह दिन नदियों के लिए कदम उठाने, उन्हें बचाने और उनके लिए जागरुकता फैलाने के नाम है। नदियों में गंदगी का मुद्दा सिर्फ भारत ही नहीं, लंदन जैसे शहरों में भी हावी रहा है, लेकिन यहां की टेम्स नदी की कहानी प्रेरित करने वाली रही है।
वो टेम्स नदी, जिसका पानी इतना गंदा था कि 1957 में नेशनल हिस्ट्री म्यूजियम ने इसे डेड रीवर तक कह दिया था। डेड रीवर का मतलब है पानी का इतना गंदा हो जाना कि जीव-जन्तु तक उसमें जिंदा न रह सकें। अब वही टेम्स दुनिया की सबसे साफ नदी है। साफ पानी इसकी पहचान बन गया है। आइए जानते हैं लंदन की टेम्स का डेड रीवर से दुनिया की सबसे साफ नदी बनने तक का सफर…
यूं तेजी से बिगड़े थे हालात (worlds cleanest river)
इसके हालात तेजी तब बिगड़े थे जब 1850 में टेम्स में गिरते सीवेज और औद्योगिक कचरे ने अपनी सीमा पार कर दी थी। हालात बिगड़ते गए और यह जीवाें के लिए मौत का दलदल बन गई। इसे सुधारने की जिम्मेदारी सिविल इंजीनियर सर जोसेफ बेज़लगेट को दी गई। उन्हें सीवरेज नेटवर्क बनाने का काम सौंपा गया, जो आज भी उपयोग में है। अगले कई दशकों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए। घरों में शौचालयों का निर्माण बढ़ा. कई सालों की मेहनत के बाद टेम्स दुनिया की साफ नदी बनी।
बमबारी ने फेरा था पानी (worlds cleanest river)
हालात सुधरने ही लगे थे कि द्वितीय विश्व युद्ध ने मेहनत पर पानी फेर दिया। जंग के दौरान बमबारी ने सीवेज नेटवर्क के कई हिस्सों को नष्ट कर दिया, जिससे सीवरेज फिर से नदी में प्रवेश करने लगा। पानी इतना जहरीला होता गया कि मछलियों के लिए पनपना मुश्किल हो गया। मछलियां पनपने के लिए जिस पानी में वे रहती हैं उसमें प्रति लीटर में कम से कम 4-5 मिलीग्राम घुलनशील ऑक्सीजन होनी चाहिए।
टेम्स नदी डेड रिवर घोषित (worlds cleanest river)
1950 के दशक के दौरान पानी की जांच में सामने आया कि इसमें ऑक्सीजन का लेवल मानक के मुकाबले 5 फीसदी ही रह गया। मध्य लंदन से होकर गुजरने वाली टेम्स की 20 मील की दूरी में घुलनशील ऑक्सीजन का स्तर जांचने लायक भी नहीं बचा था। 69 किमी लंबी नदी में, 1950 के दशक में मछली तक मौजूद नहीं थी। 1957 के सर्वेक्षणों में जो जानकारी सामने आई उसके बाद टेम्स नदी को डेड रिवर घोषित कर दिया गया।
बचाने का रहा टर्निंंग पॉइंट (
टेम्स को बचाने के लिए नए सिरे से सफाई अभियान शुरू किया गया। 1976 से, टेम्स गिरने वाले नालों को रोका गया। 1961 और 1995 के बीच कड़े कानून लागू करके पानी के गुणवत्ता मानकों को बढ़ाने के लिए सख्ती बरती गईॉ। तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर ने 1989 में सुरक्षात्मक राष्ट्रीय नदी प्राधिकरण की स्थापना के साथ-साथ निगरानी भी सुनिश्चित की।
मछलियों की आबादी बढ़ाई
टेम्स में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने के लिए बड़े ऑक्सीजनेटर यानी बबलर की स्थापना की गई। यहां जल प्राधिकरण ने 1980 के दशक की शुरुआत में नदी के किनारे पर प्रोटोटाइप ऑक्सीजनेटर विकसित किए। यह पानी में ऑक्सीजन और मछलियों की आबादी बढ़ाने के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। पानी साफ हुआ। ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ी और समुद्री जीव भी।
25 किमी लंबा “सुपर सीवर”
लगातार सुधार का यह असर हुआ कि यह दुनिया की सबसे साफ पानी वाली नदी बन गई। ग्रेटर लंदन में सीवरेज सिस्टम को 50 लाख से कम लोगों के लिए डिज़ाइन किया गया था लेकिन अब 10 लाख से अधिक लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। वर्तमान में, इस बढ़े हुए भार को संभालने के लिए लंदन में एक नया 25 किमी लंबा “सुपर सीवर” बनाया जा रहा है। इसके 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है।