संयुक्त राष्ट्र, 17 सितंबर (khabarwala24)। महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार अब महासभा में चर्चा के केंद्र में है और सुधार प्रक्रिया में कुछ प्रगति हुई है।
उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में अंतर-सरकारी वार्ता (आईजीएन) का जिक्र करते हुए कहा, “पहले एक समिति थी, जो दस्तावेज जारी नहीं कर पाती थी और दस्तावेज एक साल से दूसरे साल तक आगे नहीं बढ़ पाते थे। अब एक समिति गंभीरता से काम कर रही है। मुझे लगता है कि इसमें प्रगति हो रही है।”
हालांकि, आईजीएन उस ‘निगोशिएटिंग टेक्स्ट’ को अपनाने में विफल रहा है, जिसे भारत ने चर्चा का आधार बनाने की मांग की थी, फिर भी इसके सह-अध्यक्षों ने ‘एलिमेंट पेपर्स’ तैयार किए हैं, जिनमें सुधारों पर विभिन्न देशों की स्थिति, मतभेद और कन्वर्जेंस के बिंदुओं को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया गया है और एक रिकॉर्ड बनाया गया है।
गुटेरेस ने कहा, “परिषद की वैधता और दक्षता इसके वर्तमान ढांचे से प्रभावित होती है।”
उन्होंने कहा, “सुरक्षा परिषद की संरचना आज की दुनिया नहीं, बल्कि 1945 की दुनिया के अनुरूप है। इससे न केवल वैधता की समस्या पैदा होती है, बल्कि दक्षता की भी समस्या पैदा होती है।”
गुटेरेस ने परिषद सुधारों में बढ़ती रुचि का कुछ श्रेय लिया और कहा, “यह अतीत में पूरी तरह से वर्जित था। एक बात मैं आपको बता सकता हूं कि मेरा मानना है कि मैं पहला महासचिव हूं, जो हर समय सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता के बारे में बात करता है।”
उन्होंने कहा, “कई देशों ने, उदाहरण के लिए पी5 (पांच स्थायी सदस्यों) ने भी, स्वीकार किया है कि अफ्रीका को एक स्थायी सदस्य होने का अधिकार होना चाहिए। एक अन्य सुधार की आवश्यकता है, स्थायी सदस्यों की वीटो शक्तियों पर अंकुश लगाना।”
उन्होंने कहा, “सच्चाई यह है कि यह विषय (परिषद सुधार) जो पहले पूरी तरह से वर्जित था, अब महासभा की चर्चाओं के केंद्र में है। फ्रांस और ब्रिटेन की ओर से वीटो के अधिकार को सीमित करने के प्रस्ताव आए थे, खासकर ऐसे हालात में जब मानवाधिकारों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन हो रहा हो या इस तरह के मामले सामने आ रहे हों। मैं इस प्रस्ताव को सहानुभूति के साथ देखता हूं।”
उन्होंने कई संघर्षों को सुलझाने में संयुक्त राष्ट्र की विफलता के लिए भू-राजनीति और स्थायी सदस्यों के दंड से मुक्त होकर काम करने के कारण परिषद की निष्क्रियता को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र एक सुरक्षा परिषद है और भू-राजनीतिक विभाजन ने सुरक्षा परिषद को पंगु बना दिया है। दुनिया में शांति और सुरक्षा बनाए रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद की है। सुरक्षा परिषद की निष्क्रियता दंड से मुक्ति का एक स्रोत है, जो हमारे काम को कमजोर करती है। यह स्पष्ट करने की जरूरत है कि यह क्या है। यह संयुक्त राष्ट्र नहीं है। यह सदस्य देश हैं, जो विभाजित होकर संयुक्त राष्ट्र को ठीक से काम नहीं करने देते।”
उन्होंने कहा, “संघर्षों में शामिल पक्षों को शांति स्थापित करने के लिए हमारे पास न तो कोई प्रलोभन है और न ही कोई दंड। संयुक्त राज्य अमेरिका के पास प्रलोभन और दंड दोनों हैं और इसे संयुक्त राष्ट्र की विशेषज्ञता के साथ मिलाकर कुछ स्थितियों में शांति लाने में प्रभावी हो सकता है।”
Source : IANS
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