विजयवाड़ा, 26 सितंबर (khabarwala24)।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयातित ब्रांडेड और पेटेंटेड फार्मास्यूटिकल उत्पादों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह टैरिफ 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा। आंध्र प्रदेश के पूर्व भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) अध्यक्ष डॉ. रशिक सांघवी ने इस कदम को भारतीय निर्यात के लिए बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं की सामर्थ्य पर गहरा असर पड़ेगा।
डॉ. सांघवी ने विजयवाड़ा में khabarwala24 से बात करते हुए कहा, “ट्रंप ने हाल ही में फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में आयातित दवाओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाकर धमाका कर दिया है। भारत दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है, जहां कुल निर्यात का लगभग 35 प्रतिशत फार्मा उद्योग से आता है। अमेरिका में 90 प्रतिशत प्रिस्क्रिप्शन दवाएं जेनेरिक हैं, जिनमें भारत का बड़ा योगदान है।”
उन्होंने बताया कि डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज जैसी कंपनियां अमेरिका को भारी मात्रा में दवाएं निर्यात करती हैं। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के 27.9 अरब डॉलर के फार्मा निर्यात में से 31 प्रतिशत (लगभग 8.7 अरब डॉलर) अमेरिका को गया था। 2025 की पहली छमाही में ही 3.7 अरब डॉलर का निर्यात हो चुका है।
ट्रंप का कहना है कि अमेरिका में उत्पादन शुरू करने वाली कंपनियों पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा, लेकिन आयातित दवाओं पर यह लागू होगा। डॉ. सांघवी ने इसे अमेरिकी बजट घाटे को कम करने और स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने का उपाय बताया। हालांकि, इसका अप्रत्यक्ष असर अमेरिका के स्वास्थ्य क्षेत्र पर भी पड़ेगा, जहां लाखों लोग सस्ती जेनेरिक दवाओं पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा, “लगभग 30 अरब डॉलर मूल्य की दवाएं भारत से आयात होती हैं। टैरिफ से कीमतें दोगुनी हो सकती हैं, जिससे अमेरिकी मरीजों को दवाएं खरीदने में दिक्कत होगी।”
डॉ. सांघवी ने चेतावनी दी, “भारतीय जेनेरिक दवाएं थोड़ी महंगी हो सकती हैं, क्योंकि अमेरिकी बाजार में नुकसान की भरपाई घरेलू कीमतों से हो सकती है। डॉ. रेड्डीज़, सन फार्मा, ऑरोबिंडो और अन्य कंपनियां प्रभावित होंगी, जो अमेरिका से 30-50 प्रतिशत राजस्व कमाती हैं।” उन्होंने कहा कि ट्रंप की नीतियां असंगत हैं, इसलिए स्थिति अनिश्चित है। भारत चीन, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के साथ व्यापार मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अमेरिका का बाजार सबसे बड़ा है।
डॉ. सांघवी ने स्वास्थ्य क्षेत्र की चिंता जताते हुए कहा, “दवाओं की कीमतें बढ़ने से मरीजों की सामर्थ्य प्रभावित होगी। हम आईएमए के रूप में चिंतित हैं। राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद और राज्य स्तर के संघ सरकार के संपर्क में हैं।”
Source : IANS
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