नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (khabarwala24)। ब्राजील के उपराष्ट्रपति गेराल्डो अल्कमिन ने कहा कि दुनिया को निवारक और टिकाऊ स्वास्थ्य सेवा के लिए आयुर्वेद के कालातीत ज्ञान की आवश्यकता है। वहीं, उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर मुलाकात की तस्वीरें पोस्ट कर लिखा, “ब्राजील के उपराष्ट्रपति और विकास, उद्योग, व्यापार एवं सेवा मंत्री नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (khabarwala24) ब्राजील के उपराष्ट्रपति गेराल्डो अल्कमिन से मिलकर बहुत खुशी हुई। व्यापार, निवेश, ऊर्जा, संपर्क, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी में अधिक सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा हुई।”
भारत के आधिकारिक दौरे पर आए अल्कमिन ने आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), नई दिल्ली का दौरा किया। अल्कमिन ने पारंपरिक और एकीकृत स्वास्थ्य प्रणालियों को बढ़ावा देने में भारत के नेतृत्व की खूब सराहना की।
उन्होंने कहा, “आयुर्वेद स्वास्थ्य और ज्ञान का 5,000 साल पुराना खजाना है।” इसके साथ ही उन्होंने एआईआईए को “स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, रोगों के उपचार और समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से शिक्षा और अनुसंधान को आगे बढ़ाने” के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि निवारक और स्थायी स्वास्थ्य सेवा के लिए दुनिया को आयुर्वेद के शाश्वत ज्ञान की आवश्यकता है।
ब्राजील के विकास, उद्योग, व्यापार और सेवा मंत्री अल्कमिन ने आयुर्वेद की वैश्विक प्रासंगिकता को स्वीकार किया और अपनी पीठ दर्द के लिए आयुर्वेदिक उपचार लेने की इच्छा व्यक्त की।
उन्होंने कहा, “जीवन प्रत्याशा बढ़ रही है, और आयुर्वेद जैसी प्राकृतिक एवं निवारक स्वास्थ्य प्रणालियों की मांग भी बढ़ रही है। अगर यह एक छोटी सी यात्रा न होती, तो मैं निश्चित रूप से अपने पीठ दर्द का इलाज एआईआईए में करवाता।”
बता दें, इस दौरान उपराष्ट्रपति अल्कमिन के साथ उनकी पत्नी मारिया लूसिया अल्कमिन और 14 अधिकारियों का एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी था। इस प्रतिनिधिमंडल में भारत में ब्राजील के राजदूत केनेथ नोब्रेगा और ब्राजीलियाई स्वास्थ्य नियामक एजेंसी के निदेशक रोमिसन रोड्रिग्स और अन्य वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल थे।
उपराष्ट्रपति और उनके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए, आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने पारंपरिक चिकित्सा, एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान और कल्याण उद्योगों के क्षेत्र में भारत और ब्राजील के बीच अधिक सहयोग का आग्रह किया।
उपराष्ट्रपति और उनके प्रतिनिधिमंडल को आयुर्वेद शिक्षा, नैदानिक सेवाओं और उन्नत अनुसंधान में एआईआईए के अग्रणी योगदान की भी जानकारी दी गई।
Source : IANS
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