काठमांडू, 18 दिसंबर (khabarwala24)। नेपाल में मार्च 2026 में आम चुनाव होने वाला है। नेपाल में लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। हालात ऐसे हैं कि कई सालों से यहां पर किसी भी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। नेपाल के जेन-जी ने हिंसक प्रदर्शन के तहत केपी ओली की सरकार को इस साल गिरा दिया। सितंबर में प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बावजूद नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली अपने 11वें आम सम्मेलन में पार्टी के अध्यक्ष के रूप में लगातार तीसरी बार चुने गए हैं।
इस हफ्ते काठमांडू में हुए जनरल कन्वेंशन में केपी ओली को फिर से पार्टी अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। इसके साथ ही वह हाल ही में भंग हुए हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स, यानी नेपाली संसद के निचले सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को लीड करते रहेंगे।
पार्टी के सेंट्रल इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, केपी ओली को 2,227 वोटों में से कुल 1,663 वोट हासिल हुए। इसके साथ ही उन्होंने अपने विरोधी और मौजूदा महासचिव ईश्वर पोखरेल को शिकस्त दे दिया। पोखरेल को महज 564 वोट मिले।
बता दें कि केपी ओली पहली बार 2014 में 9वें जनरल कन्वेंशन में पार्टी के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद 2021 में 10वें जनरल कन्वेंशन में उसी पद के लिए फिर से चुने गए। इसके बाद 2025 में अब उन्होंने पार्टी अध्यक्ष के रूप में तीसरे कार्यकाल के लिए जीत हासिल कर ली है।
ओली को पांच साल के लिए पार्टी को लीड करने का अधिकार है। पोखरेल के लिए पूर्व राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने खूब समर्थन जताया। बावजूद इसके, ओली ने उन्हें शिकस्त दे दी। दरअसल, विद्या देवी भंडारी अपनी पुरानी पार्टी यूएमएल में वापस आकर उसे लीड करना चाहती थीं। हालांकि, ओली ने उनकी पार्टी सदस्यता लेने से इनकार कर दिया था। तब से, उन्होंने चेयरमैन पद के लिए ओली के विरोधी पोखरेल का खुलकर समर्थन करना शुरू कर दिया।
पोखरेल 2009 में पार्टी के आठवें जनरल कन्वेंशन के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री झाला नाथ खनल के कैंप से जुड़े थे। बाद में वह 2014 में हुए नौवें जनरल कन्वेंशन के दौरान ओली के कैंप में शामिल हो गए। एक दशक में पहली बार ऐसा हुआ, जब पोखरेल ने पार्टी के उच्च पद के लिए ओली को चुनौती दी थी।
2021 में हुए 10वें जनरल कन्वेंशन के दौरान, पोखरेल ने भीम रावल के खिलाफ केपी ओली का समर्थन किया था। भीम रावल ने पार्टी की अध्यक्षता के लिए ओली को चुनौती दी थी।
2021 में यूएमएल के बंटवारे के बाद पार्टी पर केपी ओली का पूरा नियंत्रण था। इस दौरान ही यूएमएल के पूर्व नेता माधव कुमार नेपाल के नेतृत्व वाले एक गुट ने एक अलग दल सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) बनाई थी।
10वें जनरल कन्वेंशन के बाद से, ओली ने रावल समेत कई नेताओं को पार्टी से बाहर करके यूएमएल पर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली। ओली ने जिन नेताओं को पार्टी से बाहर किया था, वे उनके सबसे कड़े आलोचकों में से एक थे।
अगर कुछ महीने पहले पार्टी के कानून में बदलाव नहीं किया गया होता तो ओली पार्टी लीडरशिप का चुनाव नहीं लड़ पाते। सितंबर में हुए स्टैच्यूट कन्वेंशन में 73 साल के ओली के कहने पर कार्यकारी पदों पर रहने के लिए दो कार्यकाल की सीमा और 70 साल की उम्र की सीमा हटा दी गई थी।
बता दें कि 2009 में यूएमएव के आठवें जनरल कन्वेंशन में पहली बार लीडरशिप पदों के लिए दो टर्म की लिमिट का प्रोविजन लाया गया था, जबकि 2014 में काठमांडू में हुए नौवें कन्वेंशन में 70 साल की उम्र की लिमिट तय की गई थी। हालांकि, जून 2023 में सेक्रेटेरिएट मीटिंग में उम्र की लिमिट सस्पेंड कर दी गई।
इसके बाद, इस साल सितंबर में हुए पार्टी के स्टैच्यूट कन्वेंशन में उम्र और टर्म दोनों की लिमिट हटा दी गई। इसने ओली के लिए पार्टी की बागडोर फिर से संभालने के रास्ते खोल दिए।
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