नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (khabarwala24)। इजरायल और गाजा पट्टी के बीच सीजफायर के बाद जर्मनी यूक्रेन की स्थिति को लेकर बहुत चिंतित है। वह मास्को तथा कीव के बीच संघर्ष का अंत देखना चाहता है।
भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच प्रस्तावित अगली बैठक, अलास्का में हुई पिछली बैठक से अधिक फलदायी होगी। यह पूरे यूरोप के लिए भी सही है।
एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में एकरमैन ने कहा कि दो-तीन हफ्ते पहले हमें एक चेतावनी मिली थी, जब अचानक रूसी लड़ाकू विमान 15 मिनट या कुछ देर के लिए नाटो क्षेत्र में घुस आए थे। फिर अचानक स्कैंडिनेवियाई हवाई अड्डों पर ड्रोन देखे गए, यह स्पष्ट नहीं है कि वे रूसी थे या नहीं, लेकिन संभावना है, इसलिए मुझे लगता है कि यूरोप ज्यादा खतरा महसूस कर रहा है।
भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने कहा कि हमें कोई थकान या सुस्ती महसूस नहीं हो रही है। हम बस इस युद्ध को समाप्त करने की इच्छा और आग्रह महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच संभावित बैठक का जिक्र किया। मुझे उम्मीद है कि यह पिछली बैठक से ज्यादा फ्रूटफुल होगी। मुझे लगता है कि यह देखना बहुत जरूरी है कि अमेरिकी पक्ष ने अब कम से कम यूक्रेन से बातचीत के लिए तैयार होने का संकेत दिया है और इससे रूस थोड़ा घबराया हुआ है।
संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने हाल ही में नाटो रक्षा परिषद में कहा था, हम हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे हैं, हम कुछ करेंगे और इसलिए मुझे लगता है कि आपके पास मजबूती, निर्णायकता और बातचीत के लिए तत्परता का मिश्रण होना चाहिए। मध्य पूर्व के विपरीत मुझे शत्रुता समाप्त होती नहीं दिख रही है। यह एक शांति प्रक्रिया होगी, लेकिन अभी पूरी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन में जल्द ही ऐसा होगा।
जर्मन राजदूत ने बताया कि ड्रोन हमलों से निपटने में यूक्रेन जर्मनी की मदद कर रहा है, क्योंकि वे ड्रोन से लड़ने में काफी कुशल हैं। उनकी तकनीक वाकई उन्नत है। हमारी नहीं, इसलिए हम उनसे सीखेंगे।
फिलिप एकरमैन ने कहा कि अचानक हमें रूसी युद्ध देखने को मिल रहा है। अगर यह रूस है, तो मुझे लगता है कि हमें बहुत सावधान रहना होगा। यह साबित नहीं हुआ है, लेकिन मुझे लगता है कि वह कम से कम नाटो क्षेत्र में सीमा पार कर गया है और यह उकसावे की कार्रवाई है। हमें जवाब देना होगा। हमें अपने सशस्त्र बलों को इस आक्रमण से लड़ने और इसे रोकने के लिए तैयार करना होगा और इसलिए सेना को बेहतर स्थिति में लाने के लिए मेरे देश का रक्षा खर्च काफी बढ़ गया है।
Source : IANS
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