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इराक के पूर्व राष्ट्रपति सालेह संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त चुने गए

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संयुक्त राष्ट्र, 19 दिसंबर (khabarwala24)। इराक के पूर्व राष्ट्रपति बरहम सालेह को संयुक्त राष्ट्र का शरणार्थी उच्चायुक्त चुना गया है। खास बात यह है कि बरहम सालेह खुद भी कभी शरणार्थी रह चुके हैं। ऐसे समय में उन्हें यह जिम्मेदारी मिली है जब शरणार्थियों की मदद करने वाली इस एजेंसी को दो बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ धन की कमी है और दूसरी तरफ मदद मांगने वाले लोगों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी जारी है।

गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की सिफारिश पर सालेह को सर्वसम्मति से इस पद के लिए चुना। इससे यह जिम्मेदारी उस क्षेत्र के व्यक्ति को मिली है, जो खुद शरणार्थी संकट से बुरी तरह प्रभावित रहा है।

सालेह ने अपने चुनाव के बाद कहा, “एक पूर्व शरणार्थी के तौर पर, मैं जानता हूं कि सुरक्षा और अवसर कैसे किसी के जीवन की दिशा बदल सकते हैं। यह अनुभव उन्हें संवेदनशीलता, व्यावहारिक सोच और अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति प्रतिबद्ध नेतृत्व देने में मदद करेगा।

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वे इटली के फिलिपो ग्रांडी की जगह लेंगे, जिनका दूसरा कार्यकाल इस साल के अंत में पूरा हो रहा है। ग्रांडी ने अपने उत्तराधिकारी का स्वागत करते हुए कहा कि बरहम सालेह का अनुभव उन्हें इस कठिन दौर में इस संस्था का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त बनाता है।

महासचिव एंटोनियो गुटेरेस खुद भी पहले शरणार्थियों से जुड़े इस शीर्ष पद पर रह चुके हैं। अब तक इस पद पर अधिकतर यूरोप के लोग रहे हैं।

बरहम सालेह 2018 से 2022 तक इराक के राष्ट्रपति रहे। इससे पहले वे 2009 से 2012 तक कुर्दिस्तान के क्षेत्रीय प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं। सद्दाम हुसैन के शासनकाल में कुर्द आंदोलन से जुड़े होने के कारण उन्हें 1979 में गिरफ्तार किया गया था। बाद में वे ब्रिटेन चले गए, जहां उन्होंने कार्डिफ़ विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक और लिवरपूल विश्वविद्यालय से सांख्यिकी व कंप्यूटर एप्लीकेशन में डॉक्टरेट की पढ़ाई की। वे सुलेमानी में अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ इराक के संस्थापक हैं।

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संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, दुनिया भर में 117 मिलियन से अधिक शरणार्थी हैं, जिनमें से अधिकांश विकासशील देशों में रह रहे हैं। इस एजेंसी के 14,600 कर्मचारी हैं और यह 128 देशों में काम करती है।

इस साल की शुरुआत में एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि शरणार्थियों के सामने कई गंभीर समस्याएं एक साथ खड़ी हो रही हैं, जैसे कि लोगों का विस्थापन बढ़ रहा है, धन लगातार कम हो रहा है और राजनीतिक स्तर पर उदासीनता बनी हुई है। धन की कमी के कारण 1.4 बिलियन डॉलर की जरूरी योजनाएं बंद या टाल दी गई हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 11.6 मिलियन शरणार्थियों और विस्थापित लोगों को संयुक्त राष्ट्र की मदद से वंचित होने का खतरा है। पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों को निकाले जाने का ज़िक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल की शुरुआत से अब तक करीब 1.9 मिलियन अफग़ान अपने देश लौट चुके हैं या लौटने को मजबूर किए गए हैं, लेकिन उन्हें मिलने वाली आर्थिक सहायता इतनी कम है कि उससे खाने तक का खर्च मुश्किल से निकलता है। इससे उनके दोबारा सामान्य जीवन में लौटने की कोशिशें कमजोर पड़ रही हैं।

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