अमेरिका की शर्तें नामंजूर, हम यूरेनियम संवर्धन अब नहीं रोक सकते: ईरानी विदेश मंत्री अराघची

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तेहरान, 1 नवंबर (khabarwala24)। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची का कहना है कि तेहरान अपने न्यूक्लियर या मिसाइल प्रोग्राम को लेकर अमेरिका के साथ सीधी बातचीत नहीं करना चाहता। उन्होंने कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक यूरेनियम एनरिच (संवर्धन) करने की अपनी क्षमता नहीं छोड़ेगा।

उन्होंने अल जजीरा को बताया, “हम अपने मिसाइल प्रोग्राम पर कभी बातचीत नहीं करेंगे, और हम ही क्यों? कोई भी समझदार देश निशस्त्रीकरण नहीं करेगा। हम यूरेनियम एनरिचमेंट नहीं रोक सकते। जो चीज जंग से हासिल नहीं की जा सकती, वह राजनीति से भी हासिल नहीं की जा सकती। हम वाशिंगटन के साथ सीधी बातचीत नहीं करना चाहते, लेकिन अप्रत्यक्ष (मध्यस्थता) बातचीत के लिए एक समझौते तक पहुंच सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “हम अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर जो भी चिंताएं हैं उस पर बातचीत को तैयार हैं। एक सही समझौते तक पहुंचना संभव है, लेकिन वाशिंगटन ने अस्वीकार्य और असंभव शर्तें रखी हैं।”

उन्होंने जून में देश के परमाणु ठिकानों पर इजरायल और अमेरिका के हमलों का जिक्र करते हुए कहा, “परमाणु सामग्री अभी भी मलबे (हमला किए गए परमाणु ठिकाने) के नीचे ही रही और उन्हें कहीं और ट्रांसफर नहीं किया गया। तबाही के बावजूद, टेक्नोलॉजी मौजूद है।”

उन्होंने कहा, “तेहरान सभी संभावनाओं के लिए तैयार है।”

बता दें कि एक दिन पहले ही मिस्र ने कहा था कि उसने ईरान और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) दोनों से तबाह हो चुके न्यूक्लियर साइट्स के निरीक्षण को लेकर चल रहे टकराव को खत्म करने का आग्रह किया है। मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलट्टी ने कहा था कि उन्होंने सहयोग को फिर से शुरू करने के मकसद से अलग-अलग कॉल में अराघची और आईएईए प्रमुख राफेल ग्रॉसी से अपील की।

ईरान ने इजरायल-यूएस के साथ जून में हुई लड़ाई के बाद यूएन परमाणु निगरानी संस्था के साथ सहयोग करने से पूरी तरह मना कर दिया था।

हाल ही में, ईरान, रूस और चीन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और सुरक्षा परिषद को पत्र लिखकर 2015 की संयुक्त व्यापारिक कार्य योजना को आधिकारिक तौर पर समाप्त घोषित कर दिया था। पत्र में कहा गया था कि यूएनएससी प्रस्ताव 2231 के अनुच्छेद 8 के तहत सभी प्रावधान 18 अक्टूबर 2025 के बाद समाप्त हो चुके हैं। आईआरएनए के अनुसार, यह कदम ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी (ई3) के ‘स्नैपबैक’ तंत्र को सक्रिय करने की आलोचना करते हुए उठाया गया था।

Source : IANS

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