ढाका, 16 नवंबर (khabarwala24)। बांग्लादेश के लाखों मासूम खतरनाक परिस्थितियों के बीच काट रहे हैं। कुछ गरीबी और शहरीकरण के पाटे में पिस कर जहरीली फैक्ट्रियों में जीवन कुर्बान करने को मजबूर हो रहे हैं तो कुछ का जीवन सब सुखों से संपन्न होने के बाद भी जोखिम से भरा हुआ है। बांग्लादेश सांख्यिकी ब्यूरो (बीबीएस) और यूनिसेफ की ओर से रविवार को संयुक्त रूप से जारी मल्टीपल इंडिकेटर क्लस्टर सर्वे 2025 (एमआईसीएस 2025) के प्रारंभिक निष्कर्ष इसी दर्दनाक कहानी को उजागर करते हैं।
सर्वे के अनुसार, बांग्लादेश बाल श्रम, विषाक्त सीसे के संपर्क (शरीर पर पड़ने वाले असर), कुपोषण और दूषित जल का दंश झेल रहा है।
ढाका ट्रिब्यून के अनुसार इस सर्वेक्षण में लगभग 63,000 परिवारों को कवर किया गया, जो दर्शाता है कि 2019 में जितने बच्चे थे उनसे 12 लाख ज्यादा मासूम बाल मजदूरी कर रहे हैं और 12-59 महीने की आयु के लगभग दस में से चार बच्चों के रक्त में सीसा अब खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है।
इन निष्कर्षों को ढाका स्थित बांग्लादेश-चीन मैत्री सम्मेलन केंद्र में बीबीएस के महानिदेशक मोहम्मद मिजानुर रहमान और यूनिसेफ प्रतिनिधि राणा फ्लावर्स ने पेश किया।
पहली बार, एमआईसीएस सर्वेक्षण में भारी धातुओं के लिए रक्त के नमूनों का परीक्षण किया गया। नतीजे एक पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की ओर इशारा करते हैं। इसमें पता चला कि 12-59 महीने की उम्र के 38 फीसदी बच्चे और 8 फीसदी गर्भवती महिलाओं में सीसे की मात्रा सुरक्षित सीमा से कहीं ज्यादा थी।
ढाका में सबसे ज्यादा 65 फीसदी बच्चों पर इसका असर पड़ा है।
शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि जहरीला सीसा मस्तिष्क के विकास को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है, आईक्यू को कम कर सकता है और भविष्य को अंधकारमय बना सकता है।
हैरानी की बात यह है कि यह बोझ सबसे ज्यादा अमीर परिवारों में है! आधे से ज्यादा प्रभावित बच्चे सबसे अमीर घरों से आते हैं, जो सौंदर्य प्रसाधन, खाना पकाने के बर्तन और खिलौनों जैसे उपभोक्ता उत्पादों में व्यापक मिलावट (संदूषण) का संकेत देते हैं।
यूनिसेफ प्रतिनिधि राना फ्लावर्स ने चेतावनी दी कि बांग्लादेश एक नाज़ुक दौर से गुजर रहा है।
उन्होंने कहा, बाल विवाह और बाल मृत्यु दर में कमी दर्शाती है कि क्या संभव है। लेकिन विषैला सीसा, बढ़ते सीजेरियन सेक्शन और बढ़ता बाल श्रम लाखों बच्चों को उनकी क्षमता से वंचित कर रहा है।
हम बाल श्रम में लगभग 40 फीसदी की वृद्धि देख रहे हैं—बच्चे स्कूल से बाहर हैं, गरीबी में फंसे हैं और इस चक्र से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
उन्होंने सीसे के संपर्क में आने के निष्कर्षों को चौंकाने वाला बताया। कहा कि ढाका में दो-तिहाई प्रभावित बच्चे सबसे धनी परिवारों से आते हैं। चेतावनी देते हुए कहा, यहां बनाए जाने वाले आईलाइनर में 78 फीसदी तक सीसा होता है, जिससे मस्तिष्क पर असर पड़ सकता है।
फ्लावर्स ने यह भी बताया कि शिक्षा (जीडीपी का 1.7 फीसदी) और स्वास्थ्य (0.7 फीसदी) में बांग्लादेश का निवेश दुनिया में सबसे कम है, जिससे देश प्रगति के पथ पर नहीं बढ़ पा रहा है।
केआर/
Source : IANS
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