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Varanasi News: वाराणसी के पिशाचमोचन कुंड में 20 क्विंटल से ज्यादा मछलियां मरीं, गंदगी ने बिगाड़ा श्राद्ध का माहौल

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Khabarwala24 Varanasi News: पितृपक्ष में त्रिपिंडी श्राद्ध करने देश-दुनिया से लाखों लोग आ रहे हैं, लेकिन पिशाचमोचन कुंड की हालत देखकर दिल दुखता है। यहां की मछलियां गंदगी की भेंट चढ़ रही हैं। 7 सितंबर से शुरू हुए पितृपक्ष के 11 दिन बीतते ही कुंड में मरी हुई मछलियों का ढेर लग गया है। अब तक 20 क्विंटल से ज्यादा मछलियां निकाली जा चुकी हैं। लोग श्राद्ध के नाम पर कुंड को गंदा कर रहे हैं, जिससे दुर्गंध फैल रही है।

पितृपक्ष में कुंड पर भारी भीड़ (Varanasi News)

पितृपक्ष का त्योहार 7 सितंबर से शुरू होकर 21 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान वाराणसी के पिशाचमोचन कुंड पर देश-विदेश से लोग जुट रहे हैं। सबका मकसद अपने पूर्वजों की प्रेत बाधा दूर करना है। लाखों लोग त्रिपिंडी श्राद्ध कर चुके हैं। श्राद्ध के बाद पिंड कुंड में ही बहा दिए जाते हैं और जल भी यहीं दिया जाता है। लेकिन 11 दिन बाद कुंड में गंदगी का बोलबाला हो गया। मछलियां मर रही हैं, जिससे पूरा इलाका बदबू से भर गया है।

गंदगी के बीच हो रहा श्राद्धकर्म (Varanasi News)

कुंड में पिंडा गिरने से पानी में ऑक्सीजन की कमी हो गई है। तीर्थ पुरोहित अभिषेक उपाध्याय बताते हैं, “लोग पिंडा डाल रहे हैं, इससे मछलियां मर रही हैं। अब तक 2 लाख से ज्यादा मछलियां जा चुकी हैं। गंदगी में ही श्राद्ध करना पड़ रहा है।” मरी मछलियां तैर रही हैं, लोग पूर्वजों को जल दे रहे हैं। ये नजारा देखकर किसी का भी मन खराब हो जाए। आचार्य विशाल पांडेय कहते हैं, “यजमानों को समझाते हैं कि फूल, माला, पत्तल कुंड में न डालें, लेकिन कोई सुनता नहीं। सब कुछ बहा देते हैं।”

दिनभर कूड़ा, रात में सफाई का इंतजाम (Varanasi News)

कुंड के आसपास कूड़े का पहाड़ सा लग गया है। तीर्थ पुरोहितों ने प्राइवेट कर्मचारी लगाए हैं, जो कूड़ा इकट्ठा करते हैं। लेकिन दिन में जब श्राद्ध चल रहा होता है, तब सफाई की कोई व्यवस्था नहीं। अभिषेक उपाध्याय ने बताया, “रात 12 बजे के बाद नगर निगम की गाड़ियां आती हैं और कूड़ा ले जाती हैं। दिन में तो बस गंदगी ही गंदगी।” नगर निगम की एक नाव तो है, जो मरी मछलियां और प्लास्टिक निकालती रहती है, लेकिन इतनी संख्या में मछलियां मर रही हैं कि काम मुश्किल हो गया है।

चावल के आटे से मछलियां हो रही बीमार (Varanasi News)

ठेकेदार बनारसी लाल के मुताबिक, “विसर्जन के लिए लोग चावल का आटा डाल रहे हैं। मछलियां उसे खा लेती हैं और जल्दी मर जाती हैं। पिछले तीन दिनों में 20 क्विंटल से ज्यादा मछलियां निकाली जा चुकी हैं। हर घंटे संख्या बढ़ रही है। जब तक विसर्जन चलेगा, मछलियां मरती रहेंगी।” कुंड साफ करने की कोशिश हो रही है, लेकिन भीड़ जितनी तेज, गंदगी उतनी ही ज्यादा। स्थानीय लोग कहते हैं कि जल्द कोई बड़ा इंतजाम न हुआ तो श्राद्ध का पुण्य फल भी डूब सकता है।

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