उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित देवसरस गांव इन दिनों सुर्खियों में है। इसे ‘यूपी का जामताड़ा’ कहा जा रहा है क्योंकि यहां साइबर ठगी का बड़ा नेटवर्क चल रहा था। 11 दिसंबर को पुलिस की बड़ी छापेमारी के बाद से लगातार सर्च ऑपरेशन चल रहा है। पुलिस ने खेतों में दफन किए गए मोबाइल फोन बरामद किए हैं और ड्रोन की मदद से नए ठिकानों की तलाश की जा रही है। गांव के लोग बताते हैं कि साइबर ठगी की बदनामी के कारण पिछले 18 सालों में करीब 200 हिंदू परिवार गांव छोड़कर चले गए हैं। अब यहां कोई अपनी बेटी की शादी नहीं कराना चाहता। पुलिस ने 37 लोगों को हिरासत में लिया है और कई ठग हरियाणा व राजस्थान की तरफ भाग गए हैं।
देवसरस गांव क्यों बन गया साइबर ठगों का गढ़?
मथुरा जिले का देवसरस गांव राजस्थान और हरियाणा बॉर्डर के काफी करीब है। राजस्थान बॉर्डर मात्र 5 किलोमीटर दूर है तो हरियाणा बॉर्डर 15 किलोमीटर की दूरी पर। इस लोकेशन का फायदा उठाकर ठग आसानी से भाग जाते थे। गांव में बाहर से आए लोग साइबर ठगी के धंधे में शामिल थे। वे मोबाइल फोन से लोगों को ठगते थे और कमाए पैसे से महंगी गाड़ियां जैसे थार खरीदते थे।
पुलिस को जानकारी मिली थी कि गांव में सैकड़ों लोग इस काम में लगे हैं। ज्यादातर ठग सिर्फ 5वीं या 8वीं तक पढ़े हैं। वे लोगों के मोबाइल नंबर के आगे-पीछे के नंबर बदलकर गूगल पे, फोन पे, पेटीएम और ट्रू कॉलर पर सर्च करते थे। इससे नाम-पता पता चल जाता था। फिर फर्जी लिंक भेजकर फोन हैक कर लेते थे और फोटो-जानकारी निकालकर ब्लैकमेल करते या ठगी करते थे।
पुलिस का बड़ा ऑपरेशन: 11 दिसंबर की छापेमारी से अब तक क्या हुआ?
11 दिसंबर की सुबह पुलिस ने गांव की घेराबंदी कर दी। प्लान था कि 100 से ज्यादा ठगों को पकड़ा जाए, लेकिन करीब 120 लड़के बॉर्डर पार करके हरियाणा और राजस्थान भाग निकले। पुलिस केवल 37 लोगों को ही पकड़ सकी। पूछताछ में पता चला कि पिछले 30 दिनों में इन लोगों ने देशभर के 200 से ज्यादा लोगों से 2 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की थी।
छापेमारी के बाद ऑपरेशन जारी है। अब तक 5 दिनों से ज्यादा हो चुके हैं। पुलिस देवसरस के साथ-साथ मुडौरा, नगला अकातिया और मुड़सेरस गांवों में भी कांबिंग कर रही है। ड्रोन से गांव के ऊपर निगरानी रखी जा रही है। खेतों में काम करते लोगों को देखकर पुलिस भागते हुए पकड़ रही है। खेतों की मिट्टी में दफन मोबाइल फोन बरामद हो रहे हैं। ड्रोन की मदद से 27 नए ठिकाने ढूंढे गए हैं।
पुलिस मोबाइल टावर से एक्टिव और डिएक्टिवेट होने वाले सिम कार्ड की डिटेल भी निकाल रही है। पकड़े गए लोगों के बैंक अकाउंट ट्रेस किए जा रहे हैं। पुलिस का दावा है कि ठग हरियाणा और राजस्थान में रिश्तेदारों के नाम पर प्रॉपर्टी और व्यापार करते हैं। अब पुलिस ने 124 और संदिग्ध ठगों का डेटा इकट्ठा कर लिया है। एसएसपी श्लोक कुमार ने कहा कि साइबर ठगी पूरी तरह खत्म होने तक ऑपरेशन जारी रहेगा।
गांव में सन्नाटा, लोग डरे हुए
जब रिपोर्टर की टीम गांव पहुंची तो सड़कों पर सन्नाटा था। घरों के दरवाजे-खिड़कियों से लोग झांक रहे थे, लेकिन कोई बात करने को तैयार नहीं था। पुलिस की मौजूदगी के कारण हर कोई सतर्क था। खेतों में काम करने वाले लोगों की वैरिफिकेशन हो रही है – नाम, परिवार, प्रॉपर्टी की पूरी डिटेल ली जा रही है। पुलिस हर मूवमेंट की वीडियो और फोटो भी ले रही है।
हिंदू परिवारों का पलायन: 18 साल में 200 परिवार गए
गांव के बुजुर्ग राम प्रसाद (65 साल) ने बताया कि पहले गांव में हिंदू परिवार ज्यादा थे, लेकिन अब सिर्फ 30% बचे हैं। पिछले 15-18 सालों में करीब 200 हिंदू परिवार गांव छोड़कर दिल्ली, मथुरा, गोवर्धन में बस गए हैं। कारण है साइबर ठगी की बदनामी। गांव की इतनी बदनामी हो गई कि बाहर के लोग अपनी बेटियां यहां ब्याहना नहीं चाहते।
पंडित दाऊ दयाल कौशिक (57 साल) ने कहा कि पहले 350 हिंदू घर थे, अब सिर्फ 150 बचे हैं। पहले अखिलेश सरकार के समय कुछ लोग बंदूक लेकर घूमते थे, मारपीट करते थे। अब साइबर ठगी शुरू हुई तो रहना मुश्किल हो गया। वे कहते हैं कि बाहर से आए मुस्लिम परिवारों ने माहौल खराब किया है। महंगी गाड़ियों में घूमते हैं, लेकिन हम लोग जमीन छोड़कर कैसे जाएं?
गांव के दूसरे पक्ष की बात: सभी लोग ठग नहीं
गांव के इस्लाम नाम के व्यक्ति ने कहा कि ठगी करने वाले तो भाग गए, हम खेतों में मजदूरी करने वाले कहां जाएं? गांव में रोज पंचायत हो रही है कि कोई ठगी न करे। सभी लोग इस काम में शामिल नहीं हैं, लेकिन परेशानी सबको हो रही है। सिर्फ दोषियों को ही सजा मिलनी चाहिए।
पकड़े गए ठगों के नाम
पुलिस ने जिन 37 लोगों को हिरासत में लिया, उनके नाम हैं – बेहतरीन, इमरान, शैकुल, आशू, कालू, शमीम, अफसर, इसव, तालिम, आबिद, इस्लाम, वाजिद, आरिफ, तस्लीम, आजम, मुनफैद, रुकमुद्दीन, तालिम, हफीज, साहिल, उन्नस, हामिद, फारुख, रोहित, दीपक, मुश्तफा, इरशाद, साहिल, अरशद, शकील, माजिद, इंसाफ, राहुल, जावेद, इस्लाम, नफीस, दिलशाद, फकरु, कैफ, काला, आरिफ, मौसम, साजिद, साहिद, जाविद, मुरसी, तालिम।
आगे क्या होगा?
पुलिस का कहना है कि हरियाणा और राजस्थान पुलिस भी भागे हुए ठगों को ट्रेस कर रही है। गांव से साइबर ठगी का धंधा पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य है। गांव वाले उम्मीद कर रहे हैं कि शांति बहाल हो और बदनामी दूर हो।
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