Khabarwala 24 News Lucknow: UPPCL उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में 30 प्रतिशत तक की प्रस्तावित वृद्धि के खिलाफ उपभोक्ताओं ने कड़ा विरोध जताया है। नियामक आयोग में इस प्रस्ताव के खिलाफ आपत्तियां दर्ज हो रही हैं, जिससे पावर कॉरपोरेशन के लिए राह मुश्किल दिख रही है। उपभोक्ताओं का कहना है कि वे बिजली की कीमतों में इतनी बड़ी बढ़ोतरी के लिए तैयार नहीं हैं। नियामक आयोग ने इस मामले की सुनवाई के लिए 7 जुलाई से तारीखें तय की हैं, जिसमें बिजली कंपनियों के दावों की जांच होगी।
पावर कॉरपोरेशन (UPPCL)का दावा 19,600 करोड़ का घाटा
पावर कॉरपोरेशन ने बिजली आपूर्ति के खर्च और आय के बीच 19,600 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे का दावा किया है। कॉरपोरेशन के अनुसार, इस घाटे को पूरा करने के लिए बिजली दरों में 30% की वृद्धि जरूरी है। हालांकि, उपभोक्ता परिषद ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए मौजूदा दरों में 40-45% की कमी की मांग की है और नियामक आयोग में याचिका दायर की है।
उपभोक्ताओं की शिकायतें, सुविधाएं अपर्याप्त, दरें बढ़ाने का औचित्य? (UPPCL)
उपभोक्ता परिषद और अन्य उपभोक्ताओं ने कॉरपोरेशन के दावों पर कई सवाल उठाए हैं। सकल तकनीकी और वाणिज्यिक (AT&C) हानियों को तय मानकों से अधिक दिखाने का आरोप। बिजली बिल वसूली के आंकड़ों में पारदर्शिता की कमी। पोल के लिए जमा राशि के बावजूद पोल न लगना, बार-बार बिजली कटौती, और ईंधन अधिभार जैसे मुद्दे।पिछले टैरिफ आदेशों का पालन न होने का दावा।दर वृद्धि को निजीकरण के लिए औद्योगिक समूहों को आकर्षित करने की रणनीति बताया।उपभोक्ताओं का कहना है कि जब बिजली सेवाओं में सुधार नहीं हो रहा, तो दरों में वृद्धि क्यों की जाए?
7 जुलाई से सुनवाई में जोरदार बहस की उम्मीद (UPPCL)
7 जुलाई से शुरू होने वाली सुनवाई में उपभोक्ता परिषद और अन्य उपभोक्ता इस वृद्धि का पुरजोर विरोध करेंगे। उनकी मांग है कि बिजली सेवाओं में सुधार और पारदर्शिता के साथ दरों को यथासंभव कम रखा जाए। नियामक आयोग का फैसला इस मामले में निर्णायक होगा।