Khabarwala 24 News Lucknow: UPPCL उत्तर प्रदेश के करोड़ों बिजली उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है। अक्टूबर महीने में बिजली बिल औसतन 1.63% कम आएगा। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने ईंधन और ऊर्जा खरीद समायोजन अधिभार (FPPAS) की दरों को नकारात्मक घोषित किया है। जुलाई महीने में ईंधन और ऊर्जा खरीद पर तय लागत से 113.54 करोड़ रुपये की बचत हुई है, जिसे सभी उपभोक्ताओं में समान रूप से बांटा जाएगा। इससे घरेलू उपभोक्ताओं को औसतन 20-50 रुपये प्रति बिल की राहत मिलेगी, जबकि व्यावसायिक उपभोक्ताओं को इससे ज्यादा फायदा होगा।
FPPAS व्यवस्था: कैसे मिलेगी राहत? (UPPCL)
UPERC के बहुवर्षीय वितरण टैरिफ (MYT) नियमों के तहत हर महीने ऊर्जा खरीद और ईंधन लागत का आकलन किया जाता है। अगर लागत बढ़ती है, तो अधिभार लगता है; कमी पर राहत दी जाती है। अप्रैल 2025 से लागू इस व्यवस्था में यह दूसरा मौका है जब FPPAS नकारात्मक (-1.63%) आया है। जून 2025 में यह 4.27% बढ़ा था, जिससे बिल महंगे हुए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि अक्टूबर-नवंबर में मौसम सुहावना होने से बिजली मांग घटेगी, जिससे ईंधन खरीद पर खर्च कम रहेगा। इससे आने वाले महीनों में राहत बरकरार रह सकती है।
उपभोक्ता संगठनों ने इसे स्वागतयोग्य कदम बताया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा, “यह कमी उपभोक्ताओं को गर्मी के बाद राहत देगी, लेकिन सरकार को टैरिफ में प्रस्तावित 30% बढ़ोतरी पर भी विचार करना चाहिए।”
दूसरी तरफ स्मार्ट मीटर विवाद: बिना सहमति लगाने पर याचिका, जांच की मांग (UPPCL)
राहत की खबर के बीच बिजली विभाग पर एक और विवाद खड़ा हो गया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बुधवार को UPERC में लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल कर सभी घरों पर बिना सहमति के स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार के कंज्यूमर राइट्स रूल्स 2020 के तहत प्रीपेड मीटर अनिवार्य करने से पहले विद्युत वितरण संहिता-2005 में संशोधन जरूरी था, जो नहीं हुआ।
परिषद के मुताबिक, यूपी पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने न केवल मौजूदा कनेक्शनों पर जबरन मीटर लगाना शुरू कर दिया है, बल्कि नए कनेक्शनों पर भी इन्हें अनिवार्य कर दिया है। जो मीटर मुफ्त लगने थे, उनके लिए 6,000 रुपये तक वसूली जा रही है, जबकि केंद्र सरकार 1,350 रुपये प्रति मीटर का अनुदान दे रही है। अवधेश वर्मा ने कहा, “यह असंवैधानिक है। उपभोक्ता को प्रीपेड या पोस्टपेड चुनने का अधिकार है। केंद्र ने भी संहिता संशोधन का निर्देश दिया है, फिर भी UPPCL बिना आयोग की मंजूरी के नियम थोप रहा है।”
याचिका में UPERC से मांग की गई है: (UPPCL)
- जबरन स्मार्ट मीटर लगाने पर पूर्ण रोक।
- पूरी प्रक्रिया की स्वतंत्र जांच।
- जिम्मेदार अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई।
- उपभोक्ताओं को मीटर चुनने का विकल्प और पूरी जानकारी।
यह मुद्दा देशभर में गर्म है। जनवरी 2025 में यूपी सहित कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुए थे, जहां उपभोक्ता इसे “कॉर्पोरेट लूट” बता रहे हैं। UPPCL ने अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन आयोग अगले सप्ताह सुनवाई कर सकता है।
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