Khabarwala24 News Lucknow: UP News समाजवादी पार्टी (सपा) ने पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता के आरोप में अपने तीन विधायकों मनोज पांडेय, अभय सिंह, और राकेश प्रताप सिंह—को औपचारिक रूप से पार्टी से निष्कासित कर दिया। यह जानकारी सपा के आधिकारिक एक्स अकाउंट पर दी गई। पार्टी ने इन विधायकों पर सांप्रदायिक, विभाजनकारी, और जनविरोधी नीतियों का समर्थन करने का आरोप लगाया है। निष्कासन के साथ सपा ने तंज कसते हुए कहा, “जहां रहें, विश्वसनीय रहें।”
निष्कासन का क्या है कारण (UP News)
सपा के आधिकारिक बयान के अनुसार, इन विधायकों को सामाजवादी सौहार्दपूर्ण विचारधारा के विपरीत सांप्रदायिक, विभाजनकारी, और नकारात्मक गतिविधियों में शामिल होने के लिए निष्कासित किया गया। पार्टी ने इन पर किसान, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा, और पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) विरोधी विचारधारा का समर्थन करने का आरोप लगाया। सपा ने कहा कि इन विधायकों को सुधार के लिए दी गई ‘अनुग्रह-अवधि’ समाप्त हो चुकी है, जबकि अन्य विधायकों की समय-सीमा उनके अच्छे व्यवहार के कारण बरकरार है।
पार्टी ने अपने बयान में स्पष्ट किया, “भविष्य में भी जनविरोधी लोगों के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं होगा, और सपा के मूल विचारों के खिलाफ गतिविधियां अक्षम्य होंगी।”
समाजवादी सौहार्दपूर्ण सकारात्मक विचारधारा की राजनीति के विपरीत साम्प्रदायिक विभाजनकारी नकारात्मकता व किसान, महिला, युवा, कारोबारी, नौकरीपेशा और ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा का साथ देने के कारण, समाजवादी पार्टी जनहित में निम्नांकित विधायकों को पार्टी से निष्कासित करती है:
1. मा.…
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) June 23, 2025
निष्कासित विधायकों का विवरण (UP News)
- मनोज पांडेय: ऊंचाहार (रायबरेली) से विधायक, पूर्व में सपा के मुख्य सचेतक।
- अभय सिंह: गोसाईगंज (अयोध्या) से विधायक, दबंग छवि वाले नेता।
- राकेश प्रताप सिंह: गौरीगंज (अमेठी) से विधायक, लगातार तीन बार से सपा विधायक।
पृष्ठभूमि और राजनीतिक रणनीति (UP News)
पिछले साल राज्यसभा चुनाव 2024 में इन विधायकों ने सपा के बजाय भाजपा समर्थित उम्मीदवार को वोट देकर बगावत की थी। इस क्रॉस वोटिंग के कारण सपा का तीसरा उम्मीदवार आलोक रंजन हार गए थे, जबकि भाजपा के संजय सेठ को जीत मिली थी। सपा ने उस समय कार्रवाई टाल दी थी, लेकिन अब 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर यह कदम उठाया गया। जानकार इसे सपा की रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं, जिसका उद्देश्य पार्टी के समीकरणों को मजबूत करना और पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वोट बैंक को संदेश देना है।
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