Khabarwala24 Moradabad News: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने सभी को हैरान कर दिया। एक 23 वर्षीय महिला ने अपने मात्र 15 दिन के नवजात बच्चे को फ्रिज में रख दिया और खुद सोने चली गई। बच्चे के रोने की आवाज सुनकर दादी ने उसे फ्रिज से निकाला और तुरंत डॉक्टर के पास ले गई।
इस घटना ने न केवल परिवार को बल्कि पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। बाद में पता चला कि महिला पोस्टपार्टम साइकोसिस (Postpartum Psychosis) नामक एक गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित थी। आइए, इस घटना और इसके पीछे की वजहों को विस्तार से समझते हैं।
क्या है मुरादाबाद की यह घटना? (Moradabad News)
मुरादाबाद के कटघर थाना क्षेत्र के जब्बार कॉलोनी करुला में रहने वाली एक 23 वर्षीय महिला ने अपने नवजात बेटे के साथ कुछ ऐसा किया, जिसे सुनकर हर कोई स्तब्ध रह गया। महिला ने 5 सितंबर 2025 को अपने 15 दिन के बच्चे को फ्रिज में लिटा दिया और खुद अपने कमरे में जाकर सो गई। बच्चे को ठंड लगने के कारण वह जोर-जोर से रोने लगा। उसकी रोने की आवाज सुनकर उसकी सास (बच्चे की दादी) की नींद टूट गई। वह आवाज का पीछा करते हुए किचन तक पहुंची, जहां उन्हें फ्रिज के अंदर से बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी।
जब दादी ने फ्रिज का दरवाजा खोला, तो वहां बच्चा लेटा हुआ था। दादी ने तुरंत बच्चे को बाहर निकाला और परिवार के अन्य सदस्यों को इस बारे में बताया। बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाया गया, जहां चेकअप के बाद डॉक्टर ने बताया कि बच्चा पूरी तरह ठीक है। हालांकि, इस घटना ने परिवार को परेशान कर दिया।
परिवार का गुस्सा और मां का जवाब (Moradabad News)
जब परिवार ने महिला से पूछा कि बच्चा फ्रिज में कैसे पहुंचा, तो उसका जवाब सुनकर सभी हैरान रह गए। महिला ने बेहद साधारण तरीके से कहा, “वह सो नहीं रहा था, इसलिए मैंने उसे फ्रिज में रख दिया।” इस जवाब ने परिवार को और चिंता में डाल दिया। उन्हें समझ नहीं आया कि आखिर महिला ने ऐसा क्यों किया। शुरुआत में परिवार को लगा कि महिला पर किसी तरह का भूत-प्रेत का साया है।
भूत-प्रेत की आशंका और तांत्रिक की मदद (Moradabad News)
परिवार ने इस घटना को अंधविश्वास से जोड़ लिया और 6 सितंबर को महिला को एक तांत्रिक के पास ले गए। वहां झाड़-फूंक कराई गई, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ। महिला की हालत में कोई सुधार नहीं दिखा। इसके बाद एक रिश्तेदार ने परिवार को सलाह दी कि महिला को किसी मनोचिकित्सक (साइकेट्रिक) के पास ले जाया जाए। परिवार ने इस सलाह को माना और महिला को एक मनोचिकित्सक के पास ले गए।
डॉक्टर की राय: पोस्टपार्टम साइकोसिस का निदान
मनोचिकित्सक ने महिला की काउंसलिंग की और जांच के बाद बताया कि वह पोस्टपार्टम साइकोसिस नामक एक गंभीर मानसिक बीमारी से पीड़ित है। डॉक्टर ने तुरंत इलाज शुरू किया और परिवार को इस बीमारी के बारे में विस्तार से बताया। यह बीमारी प्रसव के बाद कुछ महिलाओं में देखी जाती है और यह काफी दुर्लभ होती है।
पोस्टपार्टम साइकोसिस क्या है? (Moradabad News)
पोस्टपार्टम साइकोसिस एक गंभीर मानसिक स्थिति है, जो प्रसव के बाद कुछ महिलाओं में देखी जाती है। डॉक्टरों के अनुसार, यह बीमारी हर मां को नहीं होती, लेकिन जब होती है, तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। इस बीमारी में महिला के शरीर में हार्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance) होने के कारण उसका व्यवहार असामान्य हो जाता है। वह आक्रामक हो सकती है, भ्रम की स्थिति में रह सकती है, और कई बार खुद को या अपने बच्चे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकती है।
पोस्टपार्टम साइकोसिस के लक्षण
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भ्रम और मतिभ्रम (Hallucinations and Delusions)
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अत्यधिक चिड़चिड़ापन और गुस्सा
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नींद न आना या बहुत ज्यादा सोना
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असामान्य व्यवहार, जैसे कि इस मामले में बच्चे को फ्रिज में रखना
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अपने बच्चे या खुद के प्रति नकारात्मक विचार
इस बीमारी का इलाज
डॉक्टरों का कहना है कि पोस्टपार्टम साइकोसिस का इलाज संभव है, लेकिन इसे समय पर पहचानना बहुत जरूरी है। इलाज में निम्नलिखित चीजें शामिल हो सकती हैं:
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काउंसलिंग: मनोचिकित्सक द्वारा नियमित सत्र
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दवाइयां: हार्मोनल असंतुलन और मानसिक स्थिति को ठीक करने के लिए दवाएं
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पारिवारिक सहयोग: परिवार का भावनात्मक और मानसिक समर्थन बहुत जरूरी है
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अस्पताल में भर्ती: गंभीर मामलों में मरीज को कुछ समय के लिए अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है
परिवार और समाज की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद परिवार और आसपास के लोग हैरान थे। शुरुआत में कई लोगों ने इसे अंधविश्वास से जोड़ा, लेकिन जब डॉक्टर ने बीमारी के बारे में बताया, तो लोगों की सोच बदली। यह घटना समाज के लिए एक सबक है कि मानसिक बीमारियों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। खासकर गर्भावस्था और प्रसव के बाद महिलाओं की मानसिक स्थिति पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
भारत में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी
भारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अभी भी बहुत जागरूकता की कमी है। लोग अक्सर मानसिक बीमारियों को भूत-प्रेत या अंधविश्वास से जोड़ देते हैं। इस मामले में भी परिवार ने पहले तांत्रिक की मदद ली, लेकिन जब कोई फायदा नहीं हुआ, तो उन्होंने सही दिशा में कदम उठाया। यह घटना हमें यह सिखाती है कि मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेना चाहिए और समय पर इलाज कराना चाहिए।
पोस्टपार्टम साइकोसिस से बचाव के उपाय
प्रसव के बाद नियमित चेकअप: प्रसव के बाद मां की मानसिक और शारीरिक स्थिति की जांच होनी चाहिए।
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परिवार का सहयोग: परिवार को मां की देखभाल और भावनात्मक सहयोग देना चाहिए।
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जागरूकता: पोस्टपार्टम डिप्रेशन और साइकोसिस के बारे में जानकारी रखें।
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तनाव प्रबंधन: मां को तनाव से बचाने के लिए परिवार को उनकी जिम्मेदारियों को साझा करना चाहिए।
समय पर इलाज है जरूरी
मुरादाबाद की इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया है कि मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना कितना खतरनाक हो सकता है। पोस्टपार्टम साइकोसिस जैसी बीमारी को समय पर पहचानकर इलाज करवाना मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी है। इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि अंधविश्वास के बजाय वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। अगर आपके आसपास कोई ऐसी स्थिति दिखे, तो तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करें।
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