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Monad University फर्जी डिग्री घोटाला, राजभवन ने तलब की पत्रावली

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Khabarwala 24 News Hapur: Monad University, हापुड़ में फर्जी डिग्री और मार्कशीट बिक्री के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस घोटाले के बाद यूनिवर्सिटी की मान्यता पर खतरा मंडरा रहा है। जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की कार्रवाई के बाद अब इस मामले ने राजभवन तक पहुंच गया है। हापुड़ के जिलाधिकारी (डीएम) अभिषेक पांडेय द्वारा यूनिवर्सिटी की मान्यता और पंजीकरण रद्द करने की सिफारिश के बाद उत्तर प्रदेश की राज्यपाल ने पूरे मामले की पत्रावली तलब की है। इस घटनाक्रम से मोनाड यूनिवर्सिटी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। हालांकि, यूनिवर्सिटी प्रशासन का दावा है कि वे किसी भी जांच में बेदाग साबित होंगे।

Monad University घोटाले का खुलासा और एसटीएफ की कार्रवाई

मोनाड यूनिवर्सिटी, जो हापुड़ के पिलखुवा क्षेत्र में स्थित एक निजी विश्वविद्यालय है, पर फर्जी डिग्री और मार्कशीट बेचने का आरोप लगा है। उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ ने 18 मई 2025 को इस रैकेट का भंडाफोड़ किया था। एसटीएफ ने यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन विजेंद्र सिंह हुड्डा और प्रो-चांसलर नितिन कुमार सिंह सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया। इस कार्रवाई में 1,372 फर्जी डिग्री और मार्कशीट, 262 फर्जी प्रोविजनल और माइग्रेशन सर्टिफिकेट, 14 मोबाइल फोन, और सात लैपटॉप बरामद किए गए। एसटीएफ के अनुसार, ये फर्जी दस्तावेज बीए, बी.एड., एलएलबी, फार्मेसी, और बी.टेक जैसे कोर्स के लिए पैसे लेकर तैयार किए गए थे।

डीएम की सिफारिश और शासन की जांच

हापुड़ के डीएम अभिषेक पांडेय ने 19 मई 2025 को उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजकर Monad University की मान्यता और पंजीकरण रद्द करने की सिफारिश की थी। इस सिफारिश के बाद शासन ने पांच सदस्यीय जांच टीम का गठन किया, जिसने यूनिवर्सिटी की पत्रावली की जांच की और अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी। अब राज्यपाल ने इस मामले की पूरी पत्रावली तलब की है, और राजभवन की विशेषज्ञ टीम इसकी जांच करेगी। डीएम, एसटीएफ, और उच्च शिक्षा विभाग ने महत्वपूर्ण दस्तावेज शासन को उपलब्ध कराए हैं, जो अब राजभवन में भेजे गए हैं।

एेसी दी जाती है मान्यता

निजी विश्वविद्यालयों की मान्यता की प्रक्रिया के तहत, उत्तर प्रदेश में किसी भी निजी विश्वविद्यालय को राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही मान्यता दी जाती है। इसके बाद, Monad University को पांच साल के भीतर यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) से स्वीकृति प्राप्त करनी होती है। यूजीसी द्वारा यूनिवर्सिटी के मानकों का निरीक्षण किया जाता है, जिसमें शैक्षणिक गुणवत्ता, बुनियादी ढांचा, और संकाय की नियुक्ति जैसे पहलू शामिल हैं। मोनाड यूनिवर्सिटी के मामले में फर्जीवाड़े के आरोपों ने इसकी मान्यता पर सवाल उठाए हैं।

Monad University प्रशासन का जवाब

मोनाड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. ए.के. जावेद ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी ने कोई फर्जी डिग्री या मार्कशीट जारी नहीं की। उन्होंने दावा किया कि यूनिवर्सिटी के पास सभी रिकॉर्ड मौजूद हैं, और वे किसी भी निष्पक्ष जांच के लिए तैयार हैं। जावेद ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग, एसटीएफ, और राजभवन द्वारा मांगी गई सभी जानकारियां और दस्तावेज उपलब्ध करा दिए गए हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन का दावा है कि वे जांच में निर्दोष साबित होंगे।

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