Khabarwala 24 News Hapur: यूपी के जनपद हापुड़ (Hapur) के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए बीमा कंपनी को परिवादी को 1,58,050 रुपये के क्लेम के साथ-साथ मानसिक क्षतिपूर्ति और वाद व्यय के रूप में 5,000 रुपये देने का आदेश दिया है। यह मामला राधापुरी निवासी महीप कुमार गुप्ता द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने बीमा कंपनी के खिलाफ गलत तरीके से क्लेम खारिज करने का आरोप लगाया था।
क्या है पूरा मामला (Hapur)
परिवादी के अधिवक्ता विवेक गर्ग ने आयोग में बताया कि महीप कुमार गुप्ता ने विपक्षी बीमा कंपनी से 15 लाख रुपये की सुपर सरप्लस फ्लोटर रिवाइज्ड मेडिक्लेम पॉलिसी ली थी, जिसमें उनकी पत्नी मीना गुप्ता भी शामिल थीं। यह पॉलिसी 20 जुलाई 2020 से 19 जुलाई 2021 तक वैध थी। 16 सितंबर 2020 को मीना गुप्ता को कोविड-19 के कारण गाजियाबाद के एक अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, जहां उनका इलाज 25 सितंबर 2020 तक चला।
इस दौरान इलाज पर 2,09,999 रुपये का खर्च आया। परिवादी ने सभी आवश्यक दस्तावेज, जैसे बिल, पर्चे और इलाज से संबंधित कागजात, समय पर बीमा कंपनी को उपलब्ध कराए। कंपनी द्वारा मांगे गए अतिरिक्त दस्तावेज भी समय पर जमा किए गए। इसके बावजूद, बीमा कंपनी ने 25 मई 2021 को यह कहते हुए क्लेम खारिज कर दिया कि परिवादी की पत्नी को पॉलिसी लेने से पहले ही बीमारी थी, जिसे उन्होंने छिपाया था। परिवादी ने इस खारिज को गैरकानूनी और अनुचित बताया।
यह सुनाया निर्णय (Hapur)
मामले की सुनवाई हापुड़ जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रवीण कुमार जैन ने की। आयोग के सामान्य सदस्य राजीव कुमार सिंह और महिला सदस्य संतोष रावत भी इस सुनवाई में शामिल थे। आयोग ने सभी तथ्यों और दस्तावेजों की गहन जांच के बाद परिवादी के पक्ष में फैसला सुनाया। आयोग ने आदेश दिया कि बीमा कंपनी को निर्णय की तारीख से 45 दिनों के भीतर परिवादी को उनकी पत्नी के इलाज का क्लेम राशि 1,58,050 रुपये का भुगतान करना होगा।
यदि कंपनी इस अवधि में भुगतान करने में विफल रहती है, तो उसे निर्णय की तारीख से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ राशि अदा करनी होगी। इसके अतिरिक्त, बीमा कंपनी को परिवादी को मानसिक क्षति और वाद व्यय के रूप में 5,000 रुपये भी देने होंगे।

क्या कहते हैं पीड़ित के अधिवक्ता (Hapur)
इस मामले में परिवादी के अधिवक्ता विवेक गर्ग, मनीष वर्मा, और विनय कश्यप ने प्रभावी पैरवी की, जिसके चलते उपभोक्ता के हित में यह फैसला सुनाया गया। यह निर्णय न केवल परिवादी के लिए राहत लेकर आया, बल्कि बीमा कंपनियों को भी यह संदेश देता है कि उपभोक्ताओं के वैध क्लेम को अनुचित रूप से खारिज करना स्वीकार्य नहीं है।
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