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Hapur में साइबर ठगी का शिकार बने रेलवे पेंशनर, 10.5 लाख की चपत

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Khabarwala 24 News Hapur: यूपी के जनपद हापुड़ (Hapur) में एक रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी के साथ साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें पीड़ित से 10 लाख 50 हजार रुपये की ठगी की गई। इस संबंध में पीड़ित अरुण प्रकाश शर्मा, पुत्र अशर्फी लाल शर्मा, ने पुलिस अधीक्षक, हापुड़ को एक प्रार्थना पत्र सौंपकर एफआईआर दर्ज करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

क्या है पूरा मामला (Hapur)

जानकारी के अनुसार मेरठ रोड स्थित आवास विकास कालोनी निवासी अरुण शर्मा 30 जून 2025 को रेलवे से सेवानिवृत्त हुए थे। 23 अगस्त को उन्हें एक फोन कॉल प्राप्त हुआ। कॉल करने वाले ने पहले उनके व्हाट्सएप पर नंबर से उनके रिटायरमेंट से संबंधित दस्तावेज, जैसे पेंशन पेमेंट ऑर्डर (पीपीओ), भेजे। इन दस्तावेजों को देखकर पीड़ित को विश्वास हो गया कि यह कॉल रेलवे से संबंधित है। कॉल करने वाले ने दावा किया कि पेंशन शुरू करने के लिए उन्हें एटीएम से एक पर्ची निकालकर मुरादाबाद रेलवे कार्यालय में जमा करनी होगी। इसके लिए पीड़ित को योनो ऐप इंस्टॉल करने और एटीएम में तीन बार पिन डालने को कहा गया। इस प्रक्रिया में उनके खाते से तीन बार में कुल 10 लाख 50 हजार रुपये निकाल लिए गए।

तीन बार में खाते से निकाली धनराशि (Hapur)

पहली लेनदेन में 5 लाख रुपये की आईडीबीआई बैंक के खाते में ट्रांसफर की गई। दूसरी लेनदेन में 3 लाख रुपये की कोटक महिंद्रा बैंक में हर्षित तिवारी के खाते में गए। तीसरी लेनदेन में 2.5 लाख रुपये डिजिकॉम डीएयू के खाते में ट्रांसफर किए गए। पीड़ित को संदेह है कि उनके रिटायरमेंट डेटा की चोरी मुरादाबाद डीआरएम कार्यालय से हुई हो सकती है। पीड़ित ने पुलिस से अनुरोध किया कि उनकी शिकायत पर उचित धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और उनकी राशि वापस दिलाने में मदद की जाए।

पुलिस ने मामले की जांच की शुरू (Hapur)

थाना साइबर क्राइम प्रभारी नजीर खान ने बताया कि पीड़ित की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है। जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले का पर्दाफाश किया जाएगा।

साइबर अपराध से बचाव के टिप्स (Hapur )

अनजान कॉल्स और मैसेज से सावधान रहें:

अनजान नंबरों से आने वाले कॉल्स, व्हाट्सएप मैसेज, या ईमेल पर भरोसा न करें, खासकर अगर वे पेंशन, लॉटरी, या तत्काल लाभ का लालच दें।

निजी जानकारी साझा न करें:

बैंक खाता, ओटीपी, पासवर्ड, आधार नंबर, या अन्य संवेदनशील जानकारी किसी के साथ साझा न करें, चाहे कॉलर सरकारी अधिकारी होने का दावा ही क्यों न करे।

संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें:

व्हाट्सएप, एसएमएस, या ईमेल में आए लिंक पर क्लिक करने से पहले उनकी सत्यता जांचें। ये मैलवेयर या फिशिंग लिंक हो सकते हैं।

ऐप्स की सत्यता जांचें:

कोई ऐप इंस्टॉल करने से पहले उसकी विश्वसनीयता जांचें। केवल Google Play Store या Apple App Store जैसे आधिकारिक प्लेटफॉर्म से ऐप डाउनलोड करें।

मजबूत पासवर्ड और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन:

अपने बैंक खातों, ईमेल, और अन्य ऑनलाइन खातों के लिए मजबूत पासवर्ड बनाएं और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) सक्रिय करें।

बैंकिंग लेनदेन की निगरानी:

नियमित रूप से अपने बैंक खाते के स्टेटमेंट और लेनदेन की जांच करें। किसी भी संदिग्ध लेनदेन की तुरंत बैंक को सूचना दें।

सार्वजनिक वाई-फाई से बचें:

ऑनलाइन बैंकिंग या संवेदनशील लेनदेन के लिए सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग न करें। जरूरत पड़ने पर वीपीएन का इस्तेमाल करें।

सॉफ्टवेयर अपडेट रखें:

अपने फोन, कंप्यूटर, और ऐप्स को हमेशा अपडेट रखें ताकि साइबर हमलों से बचाव हो सके।

जागरूकता और प्रशिक्षण:

साइबर ठगी के नए-नए तरीकों के बारे में जानकारी रखें। परिवार और दोस्तों को भी जागरूक करें, खासकर बुजुर्गों को जो आसानी से ठगी का शिकार बन सकते हैं।

शिकायत तुरंत दर्ज करें:

अगर साइबर ठगी का शिकार हों, तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करें या राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर शिकायत करें। राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी संपर्क करें।

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