Khabarwala 24 News Hapur: उत्तर प्रदेश के हापुड़ (Hapur)जिले में नकली उर्वरक बनाने के बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। कृषि विभाग और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने मोदीनगर रोड पर 3 गोदामों पर छापेमारी कर करीब 500 से अधिक कट्टे नकली पोटाश और अन्य उत्पादों को सील कर दिया। गोदामों से कच्चा माल, पैकिंग मशीनें और अन्य सामग्री भी बरामद हुई। मालिक मौके से फरार हो गए, जिसके बाद जिला कृषि अधिकारी गौरव प्रकाश ने पुलिस में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया। यह कार्रवाई किसानों को नुकसान पहुंचाने वाले फर्जी उर्वरक कारोबार पर लगाम कसने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
क्या है पूरा मामला (Hapur)
जिला कृषि अधिकारी गौरव प्रकाश ने बताया कि हापुड़ में बड़े पैमाने पर नकली उर्वरक बनाने की सूचना पिछले एक महीने से मिल रही थी। शुक्रवार शाम करीब 3 बजे कृषि विभाग की 3 विशेष टीमें मोदीनगर रोड पर स्थित गोदामों तक पहुंचीं। कर्मचारियों ने अंदर से गेट बंद कर दिए, जिससे टीमें करीब 1 घंटे तक बाहर इंतजार करती रहीं। पुलिस को सूचना दी गई, लेकिन देरी के कारण नायब तहसीलदार ने भी मौके पर पहुंचकर मदद की। आखिरकार पुलिस फोर्स के साथ गेट खुलवाए गए, तो अंदर का नजारा देख अधिकारियों के होश उड़ गए – नकली पोटाश का विशाल जखीरा भरा पड़ा था।
- पहला गोदाम: 60 से अधिक 50-50 किलो के कट्टे नकली पोटाश बरामद।
- दूसरा गोदाम: 201 बैग पोटाश के साथ पैकिंग मशीनें जब्त।
- तीसरा गोदाम: गेट खोलने में सबसे ज्यादा देरी – कृषि कर्मचारी ने नीचे से कुंडा खोलकर एंट्री की। अंदर 300 से ज्यादा कट्टे पोटाश और अन्य उत्पाद मिले।
तीनों गोदामों को तत्काल सील कर दिया गया। मालिक हापुड़ के ही रहने वाले बताए जा रहे हैं, लेकिन उनका अभी सुराग नहीं लगा। प्रकाश ने कहा, “यह कार्रवाई किसानों को फर्जी खाद से बचाने के लिए की गई। आगे भी ऐसी छापेमारियां जारी रहेंगी।”
हापुड़ में नकली उर्वरक का पुराना नाता (Hapur)
हापुड़ पहले भी नकली उर्वरक के हॉटस्पॉट के रूप में चर्चा में रहा है। जून 2025 में पुलिस ने 2 गोदामों से 40 हजार से ज्यादा खाली बोरे बरामद किए थे, जो दिल्ली से छपकर आते हैं। इनमें प्रधानमंत्री जन उर्वरक परियोजना की मार्किंग वाली बोरी भी शामिल थीं, जो चंबल फर्टिलाइजर्स जैसी कंपनियों के नाम पर भरी जाती हैं।
किसानों से अपील (Hapur)
उर्वरक खरीदते समय हमेशा लाइसेंस चेक करें, सब्सिडी वाले पोर्टल DBT से वेरिफाई करें। यदि शक हो, तो हेल्पलाइन 155261 पर शिकायत करें। यह घटना पश्चिमी यूपी में कृषि सुरक्षा पर सवाल खड़ी करती है।
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