Khabarwala 24 News Hapur: Hapur गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर हापुड़ जनपद के गढ़मुक्तेश्वर तीर्थनगरी ब्रजघाट में श्रद्धा और भक्ति का अनुपम संगम देखने को मिला। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, और उत्तराखंड से लाखों श्रद्धालु और कांवड़िए पवित्र गंगा तट पर पहुंचे। सुबह से ही गंगा घाटों पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी, जो दिन चढ़ने के साथ जनसैलाब में बदल गई। “हर-हर गंगे”, “जय गुरुदेव”, और “हर-हर महादेव” के जयघोषों से ब्रजघाट का वातावरण भक्तिमय हो उठा।
व्यास पूर्णिमा का महत्व (Hapur)
गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है, महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पंडित विवेक त्रिपाठी ने बताया, “गुरु वह दीपक है जो अज्ञान के अंधेरे को दूर कर सत्य और ज्ञान का मार्ग दिखाता है।” इस दिन श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान, हवन, पूजन, और दान-पुण्य कर पुण्य अर्जित किया। संतों और गुरुओं को दक्षिणा और वस्त्र अर्पित कर आशीर्वाद लिया गया।
कांवड़ियों और श्रद्धालुओं का उत्साह (Hapur)
इस बार ब्रजघाट पर कांवड़ियों की भारी भीड़ देखी गई, जो गंगा जल भरने और शिव भक्ति में लीन नजर आए। विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान के साथ गुरुजनों के दर्शन किए। घाटों पर भक्ति भजनों और मंत्रोच्चारण ने आध्यात्मिक माहौल को और गहरा किया।
प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था (Hapur)
जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा के लिए व्यापक इंतजाम किए। गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए घाटों पर बैरिकेडिंग की गई। गोताखोर, नाविक, पुलिस बल, होमगार्ड, पीएसी, और महिला पुलिसकर्मी तैनात रहे। ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से पूरे क्षेत्र की निगरानी सुनिश्चित की गई।
भंडारे और गंगा आरती का आयोजन (Hapur)
ब्रजघाट पर सामाजिक संगठनों ने भंडारों का आयोजन किया, जहां श्रद्धालुओं को प्रसाद और भोजन वितरित हुआ। शाम को गंगा आरती में हजारों भक्तों ने भाग लिया। दीपों की रोशनी और भजनों की गूंज ने आध्यात्मिक ऊर्जा से घाटों को जीवंत कर दिया।

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