Khabarwala 24 News Hapur: यूपी के जनपद हापुड़ (Hapur) के गढ़मुक्तेश्वर तीर्थ नगरी के ब्रजघाट क्षेत्र में बाढ़ की चुनौतियों के बीच एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने प्रकृति प्रेमियों और पर्यावरणविदों में उत्साह भर दिया। स्वर्गद्वारी पुष्पावती पूठ धाम में गंगा नदी में 15 फीट लंबे नर घड़ियाल की मौजूदगी ने न केवल स्थानीय लोगों में रोमांच पैदा किया, बल्कि यह गंगा की जैव विविधता और संरक्षण प्रयासों की सफलता का प्रतीक बन गया। यह दृश्य गंगा की सेहत और प्रकृति संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों के सकारात्मक परिणामों को दर्शाता है।
दुर्लभ घड़ियाल का दर्शन (Hapur)
डॉल्फिन गार्जियन भारत भूषण गर्ग ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार इतना विशाल घड़ियाल देखा है। घड़ियालों में नर अत्यंत दुर्लभ होते हैं, और सामान्यतः 1000 मादा घड़ियालों पर केवल एक नर घड़ियाल पाया जाता है। इस 15 फीट लंबे नर घड़ियाल का गंगा में दिखना प्रकृति संरक्षण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा, “यह दृश्य गंगा की जैव विविधता और नदी की स्वच्छता का प्रमाण है।” यह घटना स्थानीय समुदाय और पर्यावरणविदों के लिए गर्व का विषय बनी।
25 सालों से संरक्षण की मुहिम (Hapur)
भारत भूषण गर्ग पिछले 25 वर्षों से स्वामी विवेकानंद विचार मंच और लोक भारती के साथ मिलकर गंगा में घड़ियाल, गंगा डॉल्फिन, कछुए और अन्य जलीय जीवों के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। उनके प्रयासों का परिणाम है कि गंगा अब पहले की तुलना में अधिक जीवंत और स्वच्छ हो रही है। रामसर साइट घोषित होने के बाद इस क्षेत्र में संरक्षण कार्यों को और बल मिला है। गर्ग ने बताया, “नदी में घड़ियाल और डॉल्फिन की बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि संरक्षण के प्रयास रंग ला रहे हैं।”
स्थानीय लोगों में डर और उत्सुकता (Hapur)
जब ग्रामीणों ने गंगा की धारा में इस विशालकाय घड़ियाल को तैरते देखा, तो उनके बीच डर और उत्सुकता का मिश्रित भाव उमड़ा। कुछ लोग डर के कारण पीछे हट गए, जबकि अन्य ने मोबाइल कैमरों में इस दुर्लभ दृश्य को कैद किया। भारत भूषण गर्ग ने ग्रामीणों को आश्वस्त करते हुए कहा, “घड़ियाल मनुष्यों के लिए हानिकारक नहीं होता। यह मृत जानवरों और छोटी मछलियों को खाता है। हालांकि, बहुत करीब जाने पर यह आक्रामक हो सकता है। हमें इस जीव की रक्षा करनी चाहिए।” उनकी बातों ने लोगों का डर कम किया और संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई।
जलचर चौकी की मांग (Hapur)
भारत भूषण गर्ग ने जिला प्रशासन से मांग की कि गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में एक विशेष जलचर चौकी स्थापित की जाए। यह चौकी गंगा डॉल्फिन, घड़ियाल और अन्य जलीय जीवों की निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा, “यदि वैज्ञानिक निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए, तो गढ़मुक्तेश्वर पर्यावरण पर्यटन और जैव विविधता शोध का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है।” यह मांग क्षेत्र को पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टिकोण से विकसित करने की संभावनाओं को रेखांकित करती है।
गंगा की सेहत का सूचक (Hapur)
विशेषज्ञों के अनुसार, गंगा में घड़ियाल और डॉल्फिन की मौजूदगी नदी की शुद्धता और प्राकृतिक संतुलन का प्रमाण है। ये दोनों प्रजातियां नदी की सेहत के सूचक मानी जाती हैं। घड़ियाल और डॉल्फिन का स्वस्थ रहना इस बात का संकेत है कि गंगा में प्रदूषण का स्तर कम हो रहा है और इसका प्राकृतिक प्रवाह बेहतर हो रहा है। यह संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है, जो नमामि गंगे जैसे अभियानों से और मजबूत हुए हैं।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया (Hapur)
इस दुर्लभ नजारे को देखने के लिए आसपास के गांवों से लोग स्वर्गद्वारी पुष्पावती पूठ धाम पहुंचे। सत्यनारायण चौहान, महेश केवट, मूलचंद आर्य, विनोद कुमार लोधी सहित कई ग्रामीण मौके पर मौजूद रहे। सभी ने इसे गढ़मुक्तेश्वर के लिए गर्व का विषय बताया। ग्रामीणों ने कहा, “यह दृश्य न केवल प्रकृति की सुंदरता को दर्शाता है, बल्कि हमारी जिम्मेदारी को भी याद दिलाता है कि हमें इस जैव विविधता को संरक्षित करना है।”


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