Odisha Train Accident Khabarwala24 News New Delhi : ओडिशा में हुए रेल हादसे के बाद अब उस दुर्घटना से प्रभावित लोग अपनी दर्दभरी कहानी बयां कर रहे हैं। इस हादसे के एक पीड़ित ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि एक्सीडेंट के बाद उसके घायल बेटे को जो बेहोश हो गया था बचावकर्मियों ने मृत समझकर लाशों के ढे़र के नीचे डाल दिया था। जब वह दुर्घटनास्थल पर पहुंचा और अपने बेटे को ढूंढा तो वह लाशों के ढेर में से उनको जीवित मिला। बेटे को जीवित देख उसकी खुशी का ढिकाना नहीं रहा।
लाशों के ढेर में जीवित मिला बेटा
हेलाराम मल्लिक ने बताया कि जब उनको बालासोर में ट्रेन हादसे की खबर मिली तो वह अपने घर से करीब 230 किलोमीटर दूर था। आनन फानन में वह किसी तरह इस दूरी को तय कर घटनास्थल पर पहुंचा। घटना स्थल पर पहुंचते ही उसकी निगाह अपने बेटे को ढूंढने लगी। इस दौरान वह अपने बेटे को तलाश करते करते एक अस्थायी मुर्दाघर में पहुंचा तो उसने देखा कि उसका बेटा लाशों के ढे़र में जीवित पड़ा हुआ था.
पैर और हाथ में आई काफी चोट
मल्लिक बताते हैं कि उसके बाद वह अपने बेटे को उन लाशों के ढ़ेर से खींच कर अस्पताल लेकर गए और उसके हाथ पैर में काफी चोटें आई हुई थी। उनको कोलकाता के एसएसकेएम हॉस्पिटल लाने से पहले बालासोर हॉस्पिटल लेकर जाया गया था जहां पर उनके हाथ-पैर में काफी चोटें आईं थी।
क्या हुआ था उस दिन?
हेलाराम मल्लिक का कहना है कि उनको ट्रेन हादसे के तुरंत बाद उनके बेटे ने हादसे के बारे में जानकारी दी थी और कहा था कि उसको काफी चोट है और वह बेहोशी सी महसूस कर रहा है। यह जानकरी मिलते ही वह तुरंत अपने बेटे की मदद के लिए बालासोर के लिए रवाना हो गये। लेकिन जब वह यहां पहुंचे तो हर तरफ अफरा तफरी मची हुई थी जिस वजह से यहां पर किसी को भी ढूंढ पाना काफी मुश्किल था।
उनका कहना है कि उनके लिए अपने जवान बेटे को खो देना बहुत ही दुख की बात होती, वह घबरा गए थे और उनको अपने बेटे की कुशलता की चिंता हो रही थी।