Khabarwala24 News Hapur : शहीदों की याद में एक माह तक लगने वाला देश का एक मात्र शहीद मेला 10 मई से शुरू होगा। इसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई। इस वर्ष भी सर्वसम्मति से स्वाधीनता संग्राम शहीद स्मारक समिति का ललित छावनी वालों को अध्यक्ष और मुकुल त्यागी को महामंत्री चुना गया है।
मेले का इतिहास
10 मई 1857 को दिल्ली रोड पर रामलीला मैदान के बाहर स्थित पीपल के पेड़ पर अंग्रेजों ने धौलाना के चार देशभक्तों को फांसी पर लटका दिया था। पीपल का पेड़ वर्तमान समय में भी शहीदों की शहादत का साक्षी है। यह पेड़ वर्ष 1975 तक उपेक्षित खड़ा रहा, लेकिन 10 मई 1975 को पत्रकार स्वर्गीय कैलाश आजाद ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर इस पेड़ के नीचे शहीद दिवस मनाया । वर्ष 1976 में दस मई से शहीद मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन शुरु किया गया। देश भर में शहीदों के नाम पर केवल हापुड़ में ही मेला लगता है। 10 मई को जिले में अवकाश भी रहता है।
अनदेखी के चलते मेले को नहीं मिल पाया अनुदान
देश में शहीदों का नाम पर हापुड़ में एक माह तक लगने वाले मेले को लेकर जनप्रतिनिधियों तथा सरकारी तंत्र की अनदेखी के चलते आज तक कोई शासन से अनुदान नहीं मिल पाया है। शहर की एक कमेटी एक माह तक मेले का आयोजन कर अपने वीर सपूतों की याद में आने वाली पीढ़ी को जानकारी दे रही है। परंतु शासकीय उपेक्षाओं के चलते नौचंदी की तरह लगने वाला मेला आज तक नौचंदी की तर्ज पर नहीं लग पाया है।
आजादी की जंग में हंसते हंसते अपनी प्राण न्यौछावर करने वाले उन ज्ञात, अज्ञात शहीदों को याद में हापुड़ में हर साल स्वाधीनता संग्राम शहीद स्मारक समिति के तत्वावधान में एक माह तक मेले का आयोजन किया जाता है। परंतु जिन्होंने देश को आजादी दिलाई उनके नाम पर लगने वाले मेले को शासन स्तर से कोई अनुदान नहीं मिलता है। जबकि इसको लेकर कई बार मांग की जा चुकी है।