Khabarwala 24 News New Delhi : Cloning Through VIN जिस तरह से आधार कार्ड में आपकी बायोमेट्रिक और दूसरी डिटेल मौजूद होती है। ठीक, वैसे ही ऑटो मेकर कंपनी के कारखाने में जब कोई भी कार बनकर तैयार होती है तो उसके लिए एक अलग नंबर दिया जाता है। इस नंबर को VIN यानी व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर कहा जाता है। ये नंबर 17 डिजिट का होता है और बिलकुल आधार कार्ड के नंबर की तरह होता है। कार के VIN नंबर में कार से जुड़ी काफी महत्वपूर्ण डिटेल मौजूद होती हैं। व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर का उपयोग करके वाहनों की चोरी भी की जा रही है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां चोरों ने कार के VIN की मदद से उसकी चोरी को अंजाम दिया है। अगर आप अपनी कार को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आपको कार के VIN नंबर को हटा देना चाहिए।
कार का VIN नंबर (Cloning Through VIN)
कार का VIN नंबर उसके फ्रंट साइड के मिरर पर दिया गया होता है। ये नंबर या तो लिखा हुआ होता है या फिर स्टीकर के पर क्यूआर कोड या किसी दूसरे फॉर्म में दर्ज होता है। VIN नंबर में आपका रजिस्टर्ड पता, नंबर, नाम, उम्र आदि की जानकारी होती है। VIN नंबर 17 डिजिट का कोड होता है जिसमें कार के मैन्युफैक्चरिंग डेट, इंजन कैपेसिटी और फ्यूल टाइप के साथ-साथ गाड़ी किस प्लांट में बनी है, इसकी भी जानकारी छुपी होती है। कई गाड़ियों में व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर (VIN) चेसिस, बूटस्पेस या कार के अंदर सीट के निचले भाग में प्रिंट होता है।
कैसे रहें सुरक्षित? (Cloning Through VIN)
यह आपकी गाड़ी के आरसी, इंश्योरेंस पॉलिसी और डीलरशिप के पास भी होता है। हालांकि, अगर VIN कार के विंडस्क्रीन का किसी भी बाहरी सतह पर है तो इससे आपकी जानकारी दूसरों तक पहुंचने का खतरा बना रहता है। कई गाड़ियों पर VIN विंडस्क्रीन पर स्टीकर के तौर पर चिपका होता है। अगर आप VIN की जानकारी को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो स्टीकर से नंबर को स्क्रैच कर दें या स्टीकर को ही पूरी तरह हटा दें। इसके अलावा कार को हमेशा ऐसी जगह पार्क करने की कोशिश करें जहां आसपास सीसीटीवी कैमरे लगे हों।