Thursday, May 1, 2025

Snowfall in Hindukush पानी की कमी और सूखे का खतरा, हिंदूकुश पर 23 साल में सबसे कम बर्फबारी ने बढ़ाई चिंता

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Khabarwala 24 News New Delhi : Snowfall in Hindukush ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट’ ने ‘स्नो अपडेट रिपोर्ट’ में यह जानकारी दी। यह लगातार तीसरा साल है जब हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में मौसमी हिमाच्छादन सामान्य से कम रहा। इस साल नवंबर और मार्च के बीच हिमाच्छादन या बर्फ का स्तर सामान्य से 23.6 फीसदी कम रहा, जो पिछले 23 सालों में सबसे कम है।

बर्फ से पिघलने वाले पानी से बनती हैं नदियां (Snowfall in Hindukush)

रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्दियों में जमीन पर पड़ी रहने वाली बर्फ या तो तेजी से पिघल रही है या अपेक्षित मात्रा में नहीं गिर रही है। बर्फ पिघलने से बनने वाला पानी ही नदियों का रूप लेता है। आईसीआईएमओडी महानिदेशक पेमा ग्यामत्शो ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन एचकेएच क्षेत्र में बर्फ की कमी का कारण है।

क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता (Snowfall in Hindukush)

ग्यामत्शो ने कहा, ‘इस क्षेत्रीय हिम संकट तथा खाद्य, पानी और ऊर्जा के लिए उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए, हमें तत्काल विज्ञान आधारित, दूरदर्शी नीतियों की ओर आदर्श बदलाव को अपनाने तथा सीमापार पानी प्रबंधन और कार्बन उत्सर्जन न्यूनीकरण के लिए नए सिरे से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।

पिछले 23 सालों में सबसे कम बर्फ की चादर (Snowfall in Hindukush)

रिपोर्ट के अनुसार, बर्फ पिघलने से प्रमुख नदी घाटियों में कुल वार्षिक पानी प्रवाह में औसतन करीब 23 फीसदी का योगदान होता है। हालांकि, इस साल बर्फ की चादर सामान्य स्तर से 23.6 फीसदी कम थी, जो पिछले 23 सालों में सबसे कम दर्ज की गई।

दो दशक में गंगा घाटी में इतनी फीसदी बर्फबारी (Snowfall in Hindukush)

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले करीब दो दशक में गंगा घाटी में बिछी बर्फ की चादर सामान्य से 24.1 फीसदी कम हो गई। ब्रह्मपुत्र घाटी में यह 27.9 फीसदी कम हो गई। मेकोंग और सालवीन नदी घाटियों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां बर्फ की चादर क्रमशः 51.9 फीसदी और 48.3 फीसदी कम हसे गई है।

पानी की कमी और सूखे का खतरा बढ़ा (Snowfall in Hindukush)

आईसीआईएमओडी एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि बर्फ का स्तर इसी तरह कम होना जारी रहा तो क्षेत्र को पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे भूजल पर निर्भरता बढ़ जाएगी और सूखे का खतरा बढ़ जाएगा। एक्सपर्ट ने पानी संकट से निपटने के लिए सरकारों से त्वरित कदम उठाने की अपील की है।

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