रमा एकादशी पर भांग से हुआ Baba Mahakal का दिव्य श्रृंगार, दर्शन के लिए लगा भक्तों का तांता

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उज्जैन, 17 अक्टूबर (khabarwala24)।  Baba Mahakal शुक्रवार को देश भर में कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी मनाई जा रही है। एकादशी का मुहूर्त गुरुवार से शुरू हो गया था और शुक्रवार को 11 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। रमा एकादशी के खास मौके पर उज्जैन के बाबा महाकाल का भांग से श्रृंगार किया है। भांग से बाबा के त्रिनेत्र बनाए गए और दर्शन करने के लिए मंदिर में भक्तों की भीड़ मंदिर में देखी गई।

भस्म आरती के दौरान भक्तों का तांता लगा रहा (Baba Mahakal)

शुक्रवार को प्रातः बाबा महाकाल की भस्म आरती के दौरान भक्तों का तांता लगा रहा। बाबा महाकाल की भस्म आरती के बाद उनका दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत और फलों के रस से जलाभिषेक किया गया और उसके बाद बाबा का दिव्य स्वरूप में श्रृंगार किया गया। मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा के मुताबिक बाबा के आज के श्रृंगार बहुत खास हैं क्योंकि भांग से बाबा को सजाया गया। भांग से बाबा के त्रिनेत्र बनाए गए और माथे पर त्रिपुंड लगाया गया। इसके साथ ही नया मुकुट और रुद्राक्ष और मुंड माला धारण करवाई गई। बाबा का रूप इतना मनमोहक था कि भक्त निहारते ही रह गए।

भक्तों ने श्रृंगार के बाद बाबा के दर्शन किए  (Baba Mahakal)

बाबा के दिव्य रूप के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन देखी गई। भक्तों ने श्रृंगार के बाद बाबा के दर्शन किए और ‘जय श्री महाकाल’ के जयघोष से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा। बाबा के इस स्वरूप की मान्यता बहुत निराली है। कहा जाता है कि भस्म आरती के बाद श्रृंगार करने के बाद बाबा निराकार से साकार स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। भस्म आरती के वक्त महिलाओं को घूंघट करना पड़ता है, क्योंकि बाबा निराकार रूप में होते हैं। श्रृंगार होने के बाद महिलाएं और पुरुष दोनों ही उनके दर्शन कर सकते हैं।

बता दें कि हर दिन बाबा का अलग-अलग तरीके से श्रृंगार किया जाता है और भक्त बाबा के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। बाबा की भस्म आरती प्रातः 4 बजे होती है और भस्म हमेशा महानिर्वाणी अखाड़े की तरफ से बाबा को अर्पित की जाती है। भस्म आरती के बाद बाबा का श्रृंगार किया जाता है, जिसके बाद भक्त बारी-बारी बाबा के दर्शन करते हैं।

उज्जैन महाकाल मंदिर की मान्यता बहुत है। ये भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहां बाबा का शिवलिंग दक्षिणमुखी है, जिसे मनोकामना पूर्ति के लिए फलदायी माना जाता है। अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए भक्त दूर-दूर से बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं।

Source : IANS

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