Khabarwala 24 News New Delhi : Pranami Sampraday हर धर्म और संप्रदाय मानव हित के लिए जानते जाते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे संप्रदाय के बारे में बताएंगे जो है तो हिंदु लेकिन वह गीता के साथ साथ कुरान का भी पाठ करते हैं ये संप्रदाय परनामी या प्रणामी के नाम से जाने जाते हैं आपको बता दें कि गांधी जी की माता पुतली बाई भी इसी पंथ को मानती थी। हर वर्ष जामनगर में 12 दिनों का एक भव्य उत्सव आयोजित किया जाता है जहां पर परनामी संप्रदाय के लोग एकत्रित होते हैं यह उत्सव 1 नवंबर से 12 नवंबर तक चलता है। आइए विस्तार से जानते हैं परनामी संप्रदाय के बारे में…
परनामी संप्रदाय से जुड़ी अहम जानकारी (Pranami Sampraday)
आपको बता दें कि परनामी संप्रदाय भगवान श्रीकृष्ण को सर्वोच्च मानता है यह संप्रदाय सात्विक जीवन, परोपकार, जीवों पर दया, शाकाहार और शराब व नशे आदि से दूर रहने पर जोर देता है। परनामी समुदाय को निजानंद संप्रदाय के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान राजा जी में विश्वास करता है (Pranami Sampraday)
यह एक ऐसा समुदाय है जो भगवान राजा जी में विश्वास करता है उन्हें ही परम सत्य मानता है। ऐसा कहा जाता है कि कुछ मुस्लिम अनुयायियों ने प्राणनाथ जी को अंतिम इमाम मेहंदी माना है तो वही कुछ हिंदु निशकलंक कल्कि का अवतार मानते हैं।
राधा कृष्ण का स्वरूप मानकर पूजा (Pranami Sampraday)
परनामी संप्रदाय का मुख्य केंद्र पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश में पन्ना शहद है। इसके अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान के साथ नेपाल में भी इस संप्रदाय के लोग फैले हुए है। वही भुलेश्वर में एक विशेष कृष्ण प्रणामी मंदिर है जहां गीता के श्लोक और कुरान की आयत को राधा कृष्ण का स्वरूप मानकर पूजा जाता है।