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jagannath rath yatra 2024 जगन्नाथ रथ यात्रा आज से शुरू,तीनों रथों के क्या हैं नाम ? कितने दिन रुकते हैं मौसी के घर, जानिए सब कुछ

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Khabarwala24 News New Delhi : jagannath rath yatra 2024 जगन्नाथ यानी कि जगत के नाथ जो ब्रह्मांड के भगवान और श्रीहरि विष्णु के अवतार हैं। हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को ओडिशा के पुरी में प्रभु की भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस यात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ के साथ दो और रथ इस यात्रा में शामिल होते हैं, जिसमें उनके भाई और बहन शामिल होते हैं। यात्रा के लिए तैयार होने के बाद तीनों रथों की पूजा की जाती है। उसके बाद सोने की झाड़ू से रथ मंडप और रथ यात्रा के रास्ते को साफ किया जाता है। क्या आप जानते हैं इस रथ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई, यात्रा में प्रभु जगन्नाथ के साथ और कौन से रथ शामिल होते हैं और कब प्रभु वापस अपने घर लौटते हैं? इन सभी सवालों के जवाब आपको आज बतांगे। .

कब से शुरू होगी यात्रा (jagannath rath yatra 2024)

-वैदिक पंचांग के अनुसार, जगन्नाथ रथ यात्रा 7 जुलाई को सुबह 08 बजकर 05 से
– यह यात्रा सुबह 09 बजकर 27 मिनट तक निकाली गई
– इसके बाद यात्रा दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से फिर से शुरू होगी।
– इस बार यात्रा 1 बजकर 37 मिनट पर विश्राम लेगी।
– इसके बाद शाम 4 बजकर 39 मिनट से यात्रा शुरू होगी।
– अब यह यात्रा 6 बजकर 1 मिनट तक चलेगी।

क्या है रथ यात्रा की मान्यता? (jagannath rath yatra 2024)

धार्मिक पुराणों के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की इस रथयात्रा में शामिल होने से 100 यज्ञों के बराबर पुण्य का फल मिलता है। यही कारण भी है कि दुनियाभर से लोग इस यात्रा में शामिल होने पहुंचते हैं और भगवान का आशीर्वाद लेते हैं। इसके अलावा, रथ यात्रा के दौरान नवग्रहों की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने मात्र से ही अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है और शुभ ग्रहों का प्रभाव बढ़ता है।

कौन-कौन से यात्रा में रथ शामिल (jagannath rath yatra 2024)

आपको बता दें कि पुरी में भगवान जगन्नाथ का 800 साल पुराना मंदिर है और यहां भगवान जगन्नाथ विराजते हैं। वहीं आषाढ़ माह में रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के साथ दो और रथ शामिल होते हैं। इनमें से एक में उनके भाई बलराम और दूसरे में बहन सुभद्रा होती हैं। इस तरह इस दिन कुल तीन देवताओं की यात्रा निकलती है। सबसे आगे बलराम का रथ, बीच में बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है।

यात्रा की कैसे हुई शुरुआत (jagannath rath yatra 2024)

भगवान जगन्नाथ की यात्रा सदियों से चली आ रही है। ऐसा कहा जाता है कि इसकी शुरुआत 12 वीं शताब्दी में हुई थी। एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार बहन सुभद्रा ने अपने भाइयों कृष्ण और बलराम से कहा कि वे नगर को देखना चाहती हैं। इसके बाद अपनी बहन की इच्छा पूरी करने के​ लिए दोनों भाइयों ने बड़े ही प्यार से एक रथ तैयार करवाया। इस रथ में तीनों भाई- बहन सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकले थे और भ्रमण पूरा करने के बाद वापस पुरी लौटे। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

कब से तैयारी होती है शुरू (jagannath rath yatra 2024)

हर साल इस रथ यात्रा की तैयारी अक्षय तृतीया के दिन से ही शुरू हो जाती है। पुरी में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथों का निर्माण होता है। इसके लिए नीम की परिपक्व और पकी हुई लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। इसे दारु कहा जाता है। खास बात यह कि पूरे रथ में लकड़ी के अलावा अन्य किसी चीज का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

कितने दिन मौसी के घर रुकते हैं? (jagannath rath yatra 2024)

जब भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन के साथ नगर भ्रमण पर निकलते हैं तो रास्ते में गुंडिचा में मौसी के घर भी जाते हैं। माना जाता है कि मौसी के घर पर तीनों भाई- बहन खूब पकवान खाते हैं। जिससे उनकी तबियत खराब हो जाती है और वो अज्ञातवास में चले जाते हैं। वे मौसी के यहां पूरे 7 दिनों तक रुकते हैं और स्वस्थ्य होने के बाद पुरी वापस लौटते हैं।

तीनों रथों की क्या है खासियत (jagannath rath yatra 2024)

पहला रथ

– पुरी में तीन रथों में से खास होता है भगवान जगन्नाथ का रथ, जिसे नंदीघोष के नाम से जाना जाता है। इसे गरुड़ध्वज के नाम से भी जाना जाता है।
– नंदीघोष रथ 42.65 फीट ऊंचा होता है और इसमें 16 पहिए होते हैं और नंदीघोष का रंग लाल और पीला होता है।
– जगन्नाथ स्वामी के रथ के सारथी दारुक हैं, जो भगवान जगन्नाथ को नगर भ्रमण कराते हैं।

दूसरा रथ 

– रथ यात्रा में शामिल दूसरा रथ भगवान के भाई बलराम जी का होता है. इसे तालध्वज नाम से जाना जाता है.
– तालध्वज की ऊंचाई 43.30 फीट होती है, जो भगवान जगन्नाथ के रथ से थोड़ा बड़ा होता है।
– इसका रंग लाल और हरा होता है और जिसमें 14 पहिए लगे होते हैं।
– बलराम जी के रथ के सारथी मातलि हैं।

तीसरा रथ (jagannath rath yatra 2024)

– इस यात्रा में शामिल तीसरा रथ दोनों भाइयों की छोटी बहन सुभद्रा का है.
– इस रथ को दर्पदलन नाम से जाना जाता है और इसकी ऊंचाई 42.32 फीट होती है।
– इस रथ का रंगल लाल और काला होता है, जिसमें 12 पहिए लगे होते हैं।
– इस रथ के सारथी अर्जुन हैं।

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