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सुबह हुआ Holi होली का पूजन, रात में होलिका दहन, जौ बदलकर देंगे शुभकामनाएं, बड़ों का लेंगे आशीर्वाद

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Khabarwala 24 News Hapur : Holi होली पर्व पर मंगलवार सुबह के समय घराें में भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना हुई। महिलाओं ने व्रत रखकर सुबह होली के स्थलों पर जाकर गीत गाकर पूजन किया। शहर में हजारों महिला श्रद्धालुओं की भीड़ श्री चंडी मंदिर के बाहर स्थित श्री शिव मंदिर पर लगी रही। महिलाओं ने पूजा-अर्चना कर परिवार में सुख-समृद्धि की कामना की। वहीं, रात में होलिका दहन के बाद श्रद्धालु जौ के बाल भूनकर एक दूसरे के गले मिलकर होली की शुभकामनाएं देंगे।

जनपद में 643 स्थानों पर होगा होलिका दहन

सुबह से ही महिला श्रद्धालुओं की भीड़ श्री चंडी मंदिर पर लगनी शुरू हो गई थी। गोबर से बने उपले और बुरकले के साथ पहुंची महिलाओं ने पूजा-अर्चना कर होलिका दहन के लिए उपलों का ढेर लगा दिया। चंडी मंदिर पर सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम थे। सीओ अशोक सिसोदिया, थाना प्रभारी निरीक्षक संजय पांडेय ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया।

People buying barley on holi
People buying barley on holi

गन्ना और जौ की बाली की जमकर बिक्री हुई

होलिका दहन के दौरान जौ की बाली को गन्ने पर बांधकर आग में भूने जाते हैं। जिसके चलते मंगलवार की सुबह से बाजार में जौ की बाली और गन्ने की जमकर खरीददारी की गई।

Women going to worship
Women going to worship

सायं 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 11 मिनट के बीच का समय होलिका दहन रहेगा श्रेष्ठ

पंडित संतोष त्रिपाठी बताते हैं कि सात मार्च को पूर्णिमायुक्त ,भद्रारहित प्रदोष काल सायं 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 11 मिनट के बीच का समय होलिका दहन श्रेष्ठ रहेगा।रंगोत्सव की होली 8 मार्च बुधवार को है। भद्रा होने के कारण Holika dahan होलिका दहन को लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत है यद्यपि पूर्णिमा 6 मार्च को दोपहर बाद 4 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रही है, लेकिन वह पृथ्वीलोक की अशुभ भद्रायुक्त होगी , भद्रा अगले दिन 7 मार्च को सुबह 5 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी , निर्णय सिंधु व धर्म सिंधु के अनुसार भद्राकाल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है।

निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार भद्रायां द्वे न कर्तव्य श्रावणी फाल्गुनी तथा श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्रामं दहति फाल्गुनी अर्थात यदि रक्षाबंधन में भद्रा हो तो राजा के लिए अशुभ कही गई है होली दहन के समय भद्रा हो तो ग्राम -घर के मुखियाओं के लिए अशुभ कही गई है। उत्तर प्रदेश ,बिहार ,आसाम, बंगाल आदि में पूरे दिन के साथ प्रदोषकाल व्यापिनी भद्रारहित पूर्णिमा है अतः 7 मार्च को ही सही रहेगा।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से होली का पर्व मौसम परिवर्तन के समय पर आता है

पंडित संतोष तिवारी ने बताया कि अनेक प्रकार की औषधियों को हम Holika dahan होलिका दहन में जलाकर दूषित कीटाणुओं को नष्ट किया जाता है। अतः रोग नाश के उपाय के साथ साथ पर्यावरण और देश की रक्षा के लिए भी गिलोय की आहुति हम सब अवश्य दें। अनेक प्रकार के समस्याओं का समाधान के लिए अनेक प्रकार की आहुतियां होलिका में दी जा सकती हैं। जैसे कि शरीर के काया कष्ट की निवृत्ति के लिए राई और पीली सरसों का उबटन बना कर अपने हाथों पर मल कर डालें।

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