First Time Kanwad Yatra 22 जुलाई से होने जा रही सावन की शुरुआत, सबसे पहले किसने रखा था सोमवार का व्रत, जानें

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Khabarwala 24 News New Delhi : First Time Kanwad Yatra सावन के पूरे महीने भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है और सोमवार के दिन व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में सावन का महीना बहुत पवित्र और खास माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान परशुराम ही वो प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी और इनकी वजह से ही सावन के सोमवार का व्रत रखने का विधान है।

First Time Kanwad Yatra सबसे खास बात यह है कि इस वर्ष सावन की शुरुआत ही भगवान शिव के खास दिन सोमवार से हो रही है। इस पूरे इस वर्ष भगवान शिव के प्रिय माह सावन का आरम्भ 22 जुलाई 2024 से होने जा रहा है। सावन के सोमवार का विशेष महत्व माना जाता है।

अविवाहित लोगों को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है (First Time Kanwad Yatra)

भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तजन सावन माह में आने वाले संपूर्ण सोमवार के व्रत रखते हैं। मान्यता है कि सावन के सोमवार के व्रत रखने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से जातक की मनोकामना पूरी होती है। जीवन में सुख समृद्धि आती है और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद भोलेनाथ से मिलता है। ये भी मान्यता है कि सावन का व्रत रखने से अविवाहित लोगों को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।

कैसे शुरू हुई सावन सोमवार का व्रत रखने की परंपरा (First Time Kanwad Yatra)

सावन का पहला सोमवार का व्रत किसने रखा। इसको लेकर दो पौराणिक कथाएं प्रचलन में हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती अपने पिता दक्ष प्रजापति के विशाल यज्ञ में शामिल होने गई थीं। वहां पिता राजा दक्ष के द्वारा भगवान शिव का अपमान किया। भोलेनाथ के अपमान से दुखी और क्रोधित होकर माता सती ने उसी यज्ञ की अग्नि में अपनी भौतिक देह होम कर दी थी और प्रण लिया था कि अगले जन्म में वे भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करेंगी।

माता पार्वती ने सावन के सोमवार का उपवास किया था (First Time Kanwad Yatra)

माता सती का अगला जन्म पार्वती के रूप में हुआ। कुछ समय बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या आरम्भ कर दी। अपनी तपस्या के दौरान उन्होंने पूरे सावन कठिन उपवास रखा। माता पार्वती की कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और माता पार्वती का विवाह उनके साथ हुआ। इस प्रकार मान्यता है कि माता पार्वती ने सबसे पहले सावन के सोमवार का उपवास किया था।

सावन माह में भगवान परशुराम से जुड़ी पौराणिक कथा (First Time Kanwad Yatra)

सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की पूजा के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, इस महीने में भगवान परशुराम की कथा का भी विशेष महत्व होता है। भगवान परशुराम ने ही सबसे पहले सोमवार के दिन गंगा जल से भरा कांवड़ अपने कंधे पर उठाकर, भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक कर के उनकी पूजा अर्चना की थी। तभी से सावन के सोमवार के दिन व्रत रखने और भगवान शिव का पूजन करने का विधान बना।

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