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Devshayani Ekadashi 2025 आज करें भगवान विष्णु की पूजा , इस कथा के बिना अधूरा है व्रत, पढ़ें पौराणिक कथा

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Khabarwala 24 News New Delhi: Devshayani Ekadashi 2025 हिंदू धर्म में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है। यह पवित्र व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष देवशयनी एकादशी का व्रत आज, 06 जुलाई 2025 को रखा जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीर सागर में शयन के लिए चले जाते हैं, जिसके कारण इसे ‘हरिशयनी एकादशी’ भी कहा जाता है। इस व्रत का पालन करने से भक्तों के सभी दुख समाप्त होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

देवशयनी एकादशी व्रत की कथा (Devshayani Ekadashi 2025)

पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में मांधाता नामक एक चक्रवर्ती राजा का शासन था। उनके राज्य में प्रजा सुखी और समृद्ध थी। लेकिन एक बार उनके राज्य में लगातार तीन वर्ष तक बारिश नहीं हुई, जिससे भयंकर अकाल पड़ गया। चारों ओर त्रासदी का माहौल था। लोग पिंडदान, हवन, यज्ञ और व्रत करने लगे, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ।

प्रजा ने राजा मांधाता को इस संकट से अवगत कराया। राजा को यह चिंता सताने लगी कि आखिर उनसे ऐसा कौन सा पाप हुआ, जिसके कारण यह दंड मिल रहा है। समाधान खोजने के लिए राजा अपनी सेना के साथ जंगल की ओर निकल पड़े। वहां वे ब्रह्माजी के पुत्र महर्षि अंगिरा के आश्रम पहुंचे।

महर्षि ने राजा से उनके आने का कारण पूछा। राजा ने कहा, “मैं पूरी निष्ठा से धर्म का पालन करता हूं, फिर भी मेरे राज्य में अकाल क्यों पड़ रहा है? कृपया इस समस्या का समाधान बताएं।” महर्षि अंगिरा ने बताया कि सतयुग में छोटे से पाप का भी बड़ा दंड मिलता है। उन्होंने राजा को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने की सलाह दी।

राजा मांधाता ने पूरे विधि-विधान से देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi)का व्रत किया। इसके प्रभाव से उनके राज्य में मूसलधार बारिश हुई और अकाल का संकट समाप्त हो गया। प्रजा की सभी समस्याएं हल हुईं और समृद्धि लौट आई।

व्रत का महत्व और लाभ (Devshayani Ekadashi 2025)

मान्यता है कि देवशयनी एकादशी का व्रत करने से भक्तों के सभी पाप नष्ट होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस व्रत के बिना एकादशी का महत्व अधूरा माना जाता है। व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा, कथा पाठ और उपवास करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

व्रत के नियम (Devshayani Ekadashi 2025)

  • उपवास: व्रत के दिन सात्विक भोजन करें। कुछ लोग निर्जला व्रत भी रखते हैं।
  • पूजा विधि: भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप, धूप और फूलों से पूजा करें।
  • कथा पाठ: देवशयनी एकादशी की कथा अवश्य पढ़ें या सुनें।
  • दान-पुण्य: जरूरतमंदों को दान करें, विशेष रूप से अन्न और वस्त्र।

क्यों खास है देवशयनी एकादशी? (Devshayani Ekadashi 2025)

हिंदू पंचांग के अनुसार, एक वर्ष में 24 एकादशियां पड़ती हैं, और प्रत्येक माह में दो एकादशियां आती हैं। देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन से चातुर्मास शुरू होता है, जिसमें भगवान विष्णु चार महीने तक शयन करते हैं। इस दौरान विवाह, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।

व्रत के लाभ

  • सभी पापों का नाश होता है।

  • मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

  • जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।

व्रत के नियम

  • उपवास: सात्विक भोजन या निर्जला व्रत करें।

  • पूजा: भगवान विष्णु की मूर्ति के समक्ष दीप, धूप और फूलों से पूजा करें।

  • कथा पाठ: देवशयनी एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें।

  • दान: अन्न और वस्त्र का दान करें।

Disclaimer : यहां दी गई जानकारी ज्योतिष मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Khabarwala 24 News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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