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अहोबिलम मंदिर : एक नहीं, नौ अलग-अलग रूपों में विराजमान हैं भगवान नरसिंह

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नई दिल्ली, 14 नवंबर (khabarwala24)। भगवान विष्णु के अवतार नरसिंह को शक्ति और शत्रुओं पर विजय का प्रतीक माना जाता है।

कहा जाता है कि नरसिंह भगवान के दर्शन करने से भक्त भयमुक्त होता है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिरण्यकश्यप को मारने के लिए भगवान नरसिंह जिस खंभे को फाड़कर प्रकट हुए थे, उसके अवशेष आज भी इस चमत्कारी मंदिर में मौजूद हैं? हम बात कर रहे हैं अहोबिलम मंदिर की।

अहोबिलम मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के पास अल्लागड्डा मंडल के नल्लामाला पहाड़ी जंगलों में बसा है। मंदिर ऊंची पहाड़ी पर बना है और ऐसे में भक्तों को मंदिर तक पहुंचने के लिए दुर्गम रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है।

मान्यता है कि भगवान इस स्थान पर उग्र नरसिंह रूप में प्रकट हुए थे, जो नरसिंह का सबसे भयंकर रूप है। इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां भगवान नरसिंह के नौ रूपों की पूजा होती है। पूरे विश्व में ये पहला मंदिर है, जहां नरसिंह भगवान के नौ रूपों का वर्णन किया गया है। ये सभी नौ मंदिर 5 किलोमीटर की परिधि में बने हैं और भक्तों को यहां आकर नौ मंदिरों के दर्शन कर परिक्रमा भी लगानी होती है।

मंदिर की वास्तुकला बहुत प्राचीन है और नौ मंदिरों में से कुछ मंदिर गुफाओं के अंदर बने हैं, जो सुख और शांति प्रदान करते हैं। निचले अहोबिलम (पहाड़ पर बनी गुफा) में दो मंदिर और ऊपरी अहोबिलम में चार मंदिर हैं। दो अन्य मंदिर घने जंगल के अंदर हैं और एक बीच में है। इन नौ मंदिरों में से छत्रवता नरसिंह स्वामी का सबसे प्राचीन मंदिर है, जिन्हें नरसिंह के सभी नौ देवताओं में सबसे बड़े देवता के रूप में पूजा जाता है।

इस मंदिर में भगवान नरसिंह की आठ भुजाओं वाली मूर्ति है जो हिरण्यकश्यप के वध के दृश्य को दर्शाती है। मंदिर में ही एक पुराने पत्थर के अवशेष हैं, जिसे उस खंभे से जोड़ा जाता है, जहां से भगवान प्रकट हुए थे।

मंदिर में एक गाय भी आती है, जो भक्तों के लिए आस्था का प्रतीक है। भक्तों के मुताबिक गाय रोजाना एक निश्चित समय पर मंदिर में आती है और मंदिर में मौजूद पुजारी गाय की पूजा करते हैं और खाने के लिए प्रसाद भी देते हैं।

माना जाता है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है और ये गाय भगवान नरसिंह की आस्था का प्रतीक है। नौ मंदिरो में नरसिंह भगवान भार्गव नरसिंह स्वामी, योगानंद नरसिम्हा स्वामी, छत्रवता नरसिंह स्वामी, अहोबिला नरसिम्हा स्वामी क्रोडकारा (वराह) नरसिम्हा स्वामी, करंज नरसिंह स्वामी, मालोला नरसिम्हा स्वामी, ज्वाला नरसिम्हा स्वामी और पावना नरसिंह स्वामी के रूपों में विराजमान हैं। सभी नौ रूप अलग-अलग वंशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

Source : IANS

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