Banashankari Devi Temple 140 साल पुराना बनशंकरी देवी मंदिर, भक्तों की मंदिर के प्रति गहरी आस्था, हर मन्नत होती हैं पूरी

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Khabarwala 24 News New Delhi : Banashankari Devi Temple यदि सच्ची श्रद्धा भाव के साथ कोई मन्नत मांगी जाएं तो जरूर पूरी होती है। यही वजह है कि बनशंकरी देवी मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है। ऐसी मान्यता है कि जो श्रद्धालु परिवार व स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर मां के दरबार में आते हैं और मन्नत मांगते हैं। मन्नत फलीभूत होने पर वे पूजा-पाठ करवाते हैं। जनवरी या फरवरी के महीने में वार्षिक बनशंकरी उत्सव पर विशेष आयोजन किया जाता है। हर महीने की पूर्णिमा के दिन भी पालकी से परिक्रमा करवाई जाती है। हुब्बल्ली. करीब 140 साल पुराना शहर के अन्चटगेरी ओणी स्थित बनशंकरी देवी मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केन्द्र है।

काले पत्थर से बनी प्रतिमा (Banashankari Devi Temple)

मंदिर में बनशंकरी माता की काले पत्थर से बनी प्रतिमा है। मंदिर के प्रति भक्तों की गहरी आस्था है। पुजारी श्रीनिवास एम. कोन्गी का परिवार ही पिछले तीस साल से मंदिर की पूजा कर रहे हैं। नेकार देवांग सेवा समिति हुब्बल्ली मंदिर का संचालन करती है। वर्तमान में दीपक करमारी समिति के अध्यक्ष है। शारदीय नवरात्रि का पर्व यहां खास होता है। इन दिनों में मां के अवतार की पूजा की जाती है। उस दौरान मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है।

प्रमुख मंदिर बदामी के पास (Banashankari Devi Temple)

वैसे बनशंकरी देवी मंदिर या बनशंकरी मंदिर का प्रमुख मंदिर कर्नाटक के बागलकोट जिले में बदामी के पास चोलचागुड्डा में स्थित है। तिलकारण्य वन में स्थित होने के कारण मंदिर को लोकप्रिय रूप से शाकंभरी, बाणाशंकरी या वनशंकरी कहा जाता है। मंदिर की देवी को शाकंभरी भी कहा जाता है, जो देवी पार्वती का अवतार हैं। मूल मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी के बादामी चालुक्य राजाओं ने किया था, जो देवी बनशंकरी को अपनी संरक्षक देवी के रूप में पूजते थे।

बांसखरी देवी का ही रूप (Banashankari Devi Temple)

मंदिर में होने वाले वार्षिक बनशंकरी उत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाव उत्सव के साथ-साथ रथ यात्रा भी शामिल होती है, जब मंदिर की देवी को रथ में शहर के चारों ओर घुमाया जाता है। बांसखरी माँ शाकंभरी देवी का ही एक रूप है जिसका वास्तविक, मुख्य एवं प्राचीन मंदिर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित है। इसे शक्तिपीठ शाकंंभरी देवी के नाम से भी जाना जाता है। बनशंकरी या वनशंकरी दो संस्कृत शब्दों से बना है वाना यानी जंगल और शंकरी यानी शिव, पार्वती की पत्नी।

मनोकामना पूर्ण करती हैं (Banashankari Devi Temple)

हुब्बल्ली के बनशंकरी माता मंदिर के पुजारी श्रीनिवास एम. कोन्गी ने बताया कि मां के प्रति भक्तों की अपार श्रद्धा है। मां से यदि सच्चे मन से कुछ भी मांगा जाए तो मां जरूर देती है। मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर में आकर मां से जो भी मन्नत मांगी जाती है वह जरूर पूरी होती है। सुखी जीवन, उत्तम स्वास्थ्य समेत अन्य मन्नतें यहां पूरी हुई है।

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