Khabarwala 24 News New Delhi : Mahashivratri 2024 Nageshwar Jyotirlinga का 12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों में दसवां स्थान है। यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारकापुरी से लगभग 25 किलोमीटर दूर पर स्थित है। शिवपुराण की रुद्र संहिता में इस मंदिर को दारुकावने नागेशं कहा गया है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन की शास्त्रों में बड़ी महिमा बताई गई है। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन-पूजन से कालसर्प जैसे अशुभ योगों का असर कम होता है। मंदिर में भक्त नाग-नागिन के मूर्तियां भी अर्पित करते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर जानिए नागेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें…
सबसे निकटतम हवाई अड्डा जामनगर में है (Mahashivratri 2024)
शिवपुराण की रुद्र संहिता में शिव जी को नागेशं दारुकावने कहा गया है। नागेश्वर का अर्थ है नागों के ईश्वर। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का निकटतम हवाई अड्डा जामनगर में है। ये लगभग 130 किमी दूर है। ये हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से निकटतम रेलवे स्टेशन द्वारका है। द्वारका देश के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां से टैक्सी द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। बेट द्वारिका सड़क मार्ग से पूरे देश से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। निजी वाहन, बस या टैक्सी द्वारा भी यहां पहुंचा जा सकता है।
शिवजी की प्रतिमा भी आकर्षण का केंद्र (Mahashivratri 2024)
शिवपुराण की कथा के अनुसार, महादेव ने यहीं दारुक नाम के दैत्य का वध किया था। यहां स्थित शिवजी की प्रतिमा भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास काफी प्राचीन और रोचक है। मान्यता के अनुसार, द्वापर युग में जब पांडव वनवास में रह रहे थे, तब वे घूमते-घूमते दारुकवन पहुंचें। यहां एक दिन भीम ने देखा कि एक गाय रोज सरोवर में उतरकर दूध देती थी। भीम ने अपनी गदा के वार से सरोवर को नष्ट कर दिया जिससे वहां उन्हें एक शिवलिंग दिखाई दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया कि ये नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है।
ये ज्योतिर्लिंग मध्यम बड़े आकार का है (Mahashivratri 2024)
तब पांडवों ने इस स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया। मुगलकाल में इस मंदिर को कईं बार नष्ट किया गया। बाद में अहिल्या बाई ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया।वर्तमान में जो यहां मंदिर यहां दिखाई देता है, वो मराठा राजाओं द्वारा बनवाया गया है। इस मंदिर का गर्भगृह सभामंडप के नीचि स्थित है। ये ज्योतिर्लिंग मध्यम बड़े आकार का है, इसके ऊपर एक चांदी का आवरण चढ़ा हुआ है। ज्योतिर्लिंग पर ही नाग की आकृति बनी हुई है। मंदिर परिसर में भगवान शिव की विशाल प्रतिमा लोगों के आकर्षण का केंद्र है। यह मूर्ति 125 फीट ऊँची तथा 25 फीट चौड़ी है। दो किलोमीटर दूर से ही ये प्रतिमा दिखाई देने लगती है।
भगवान शिव ने किया राक्षसों का वध (Mahashivratri 2024)
शिवपुराण के अनुसार, किसी समय दारुकवन में सुप्रिय नामक एक धर्मात्मा व्यक्ति रहता था। वह भगवान शिव का भक्त था। एक बार दारुक राक्षस के सिपाहियों ने उसे पकड़कर बंदी बना लिया। विपत्ति सामने देख सुप्रिय भगवान शिव का स्मरण करने लगा। जब दारुक को पता चला कि ये शिव भक्त है तो वह स्वयं उसे मारने के लिए आया। तभी वहां भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने सभी राक्षसों का वध कर दिया। महादेव ने सुप्रिय से कहा कि अब यहां कभी राक्षसों का निवास नहीं होगा। भक्तों का पालन करने के लिए इस वन में मैं स्वयं निवास करूंगा। इस प्रकार महादेव वहां नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।