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भारत की थर्ड पार्टी डेटा सेंटर क्षमता वित्त वर्ष 2028 तक 2,500 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान : रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 25 सितंबर (khabarwala24)। भारत का डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर एक बड़े विस्तार की ओर बढ़ रहा है। गुरुवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की थर्ड पार्टी डेटा सेंटर (डीसी) क्षमता वित्त वर्ष 2025 के 1,250 मेगावाट से बढ़कर वित्त वर्ष 2028 में दोगुनी होकर 2,400-2,500 मेगावाट हो जाएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले तीन वर्षों में लगभग 90,000 करोड़ रुपए के मजबूत निवेश के साथ यह वृद्धि देखी जा सकती है।

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “इंडस्ट्री प्लेयर्स अगले 7-10 वर्षों के लिए कुल 3.0-3.5 गीगावाट क्षमता वाली विकास योजनाओं की घोषणा कर चुके हैं, जो 2.3-2.5 लाख करोड़ रुपए का एक बड़ा निवेश है। यह भारत के वर्तमान डिजिटल परिवर्तन में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई अभी भी भारतीय डेटा सेंटर क्षेत्र में सबसे आगे है, जो वर्तमान परिचालन क्षमता का 50 प्रतिशत से अधिक योगदान देता है और डीसी क्षमता के मामले में दुनिया के शीर्ष शहरों में 21वें स्थान पर है।

शहर का रणनीतिक स्थान, विश्वसनीय पावर इंफ्रास्ट्रक्चर और केबल लैंडिंग स्टेशनों की निकटता इसे डेटा सेंटर ऑपरेटरों के लिए पसंदीदा स्थान बनाती है।

भारत में वर्तमान में 42 गीगावाट की ग्लोबल डीसी कैपेसिटी का लगभग 3 प्रतिशत है, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका का योगदान लगभग 50 प्रतिशत है।

आईसीआरए की कॉर्पोरेट रेटिंग की वाइस प्रेसिडेंट और को-ग्रुप हेड अनुपमा रेड्डी ने कहा, “इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का 20-वर्षीय कर छूट नीति का हालिया ड्राफ्ट प्रस्ताव लागू होता है तो भारत में डेटा सेंटर की वृद्धि के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। कंस्ट्रक्शन और इलेक्ट्रिकल सिस्टम जैसे पूंजीगत निवेश पर इनपुट टैक्स क्रेडिट प्रदान कर, इस नीति का उद्देश्य प्रारंभिक लागत कम करना और परियोजना की व्यवहार्यता में सुधार करना है।”

एज डेटा सेंटर भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इसकी वजह खासकर बैंकिंग, हेल्थकेयर, कृषि और रक्षा जैसे क्षेत्रों में लो लैटेन्सी और हाई-स्पीड की आवश्यकता है।

भारतीय डेटा सेंटर ऑपरेटर रिन्यूएबल एनर्जी पर भी ध्यान दे रहे हैं और वर्तमान में उनकी कुल बिजली की आवश्यकता का 15-20 प्रतिशत ग्रीन पावर से पूरा हो रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, ईएसजी नियमों और बिजली के स्रोतों में विविधता लाने की आवश्यकता के कारण यह हिस्सा वित्त वर्ष 28 तक 30-35 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है।

Source : IANS

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