Old Vehicles In Delhi-NCR: दिल्ली में फिलहाल 10 और 15 साल पुरानी गाड़ियों पर नहीं लगेगी रोक, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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Khabarwala24 News Old Vehicles In Delhi-NCR: दिल्ली-एनसीआर में पुरानी गाड़ियों के मालिकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया कि दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के खिलाफ फिलहाल कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। इस आदेश के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ऐलान किया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पुराने वाहनों पर तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह फैसला दिल्ली के लाखों वाहन मालिकों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो पुरानी गाड़ियों पर लगे प्रतिबंध से परेशान थे।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक आदेश (Old Vehicles In Delhi-NCR)

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस एन. वी. अंजारिया शामिल थे, ने यह महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। दिल्ली सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से अपील की थी कि पुराने वाहनों के मालिकों पर दंडात्मक कार्रवाई से बचा जाए। कोर्ट ने इस अपील को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और चार हफ्तों के भीतर जवाब मांगा। तब तक के लिए 10 से 15 साल पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि यह फैसला दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए नियमों की समीक्षा के लिए समय देगा। कोर्ट का यह कदम दिल्ली सरकार की उस याचिका के जवाब में आया, जिसमें पुराने वाहनों पर लगे प्रतिबंध की दोबारा जांच की मांग की गई थी।

दिल्ली सरकार की मांग: उम्र नहीं, प्रदूषण पर ध्यान

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जोरदार तरीके से दिल्लीवासियों का पक्ष रखा। उन्होंने कहा, “हमने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि वाहनों का मूल्यांकन केवल उनकी उम्र के आधार पर नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, गाड़ी की तय की गई दूरी और उससे होने वाले प्रदूषण के स्तर को आधार बनाना चाहिए।”

सीएम ने आगे कहा कि इस फैसले से दिल्ली सरकार का वह संकल्प और मजबूत हुआ है, जिसमें पर्यावरण संरक्षण और जनता की सुविधा के बीच संतुलन बनाया जाए। उन्होंने यह भी वादा किया कि उनकी सरकार आगे भी दिल्ली के लोगों के हित में मजबूती से कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी।

पर्यावरण मंत्री का बयान: दिल्लीवासियों को राहत

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी इस फैसले को दिल्लीवासियों के लिए बड़ी राहत बताया। उन्होंने कहा, “हमने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि किसी वाहन का ‘एंड ऑफ लाइफ’ उसकी उम्र से नहीं, बल्कि उसके प्रदूषण स्तर और तय की गई दूरी से तय होना चाहिए। सीएम रेखा गुप्ता ने यह लड़ाई दिल्ली के लोगों की ओर से मजबूती से लड़ी। हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में हम स्थायी समाधान निकाल पाएंगे।”

सिरसा ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार एक ऐसी नीति की वकालत कर रही है, जो वाहनों के प्रदूषण स्तर और उनकी फिटनेस को ध्यान में रखे। इससे उन गाड़ियों पर कार्रवाई होगी, जो वास्तव में प्रदूषण फैलाती हैं, न कि केवल पुरानी होने की वजह से।

दिल्ली सरकार का तर्क: मध्यम वर्ग पर अनुचित दबाव

दिल्ली सरकार ने 26 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पुराने वाहनों पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा की मांग की थी। सरकार का कहना था कि 2018 में लागू किए गए नियम, जिसमें 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगाया गया था, मध्यम वर्ग के लिए अनुचित दबाव पैदा कर रहे हैं।

दिल्ली सरकार ने कोर्ट से अनुरोध किया कि केंद्र सरकार या वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को एक व्यापक वैज्ञानिक अध्ययन करने का निर्देश दिया जाए। इस अध्ययन का उद्देश्य यह जांचना है कि क्या वाहनों की उम्र के आधार पर प्रतिबंध लगाना वायु प्रदूषण को कम करने में प्रभावी है। सरकार ने यह भी कहा कि बीएस-6 वाहन, बीएस-4 की तुलना में काफी कम प्रदूषण फैलाते हैं। इसलिए, एक ऐसी नीति बनाई जानी चाहिए, जो वाहनों के उत्सर्जन और फिटनेस पर आधारित हो।

वायु प्रदूषण और जनता की सुविधा में संतुलन

दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, खासकर सर्दियों के मौसम में। हर साल दिल्ली की हवा खराब होती है, जिसके लिए वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी जिम्मेदार माना जाता है। हालांकि, दिल्ली सरकार का मानना है कि सभी पुराने वाहनों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है। इसके बजाय, एक ऐसा सिस्टम बनाया जाना चाहिए, जो प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों की सटीक पहचान करे।

सीएम रेखा गुप्ता ने कहा, “हमारी सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन हम यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आम लोगों को अनावश्यक परेशानी न हो। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला हमारी इस सोच को बल देता है।”

क्या होगा आगे?

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार हफ्तों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया है। इस दौरान दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। दिल्ली सरकार ने साफ किया है कि वह इस मामले में सक्रिय रूप से कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी। साथ ही, सरकार एक ऐसी नीति की वकालत कर रही है, जो वैज्ञानिक आधार पर बने और जिसमें वाहनों की उम्र के बजाय उनके प्रदूषण स्तर को प्राथमिकता दी जाए।

दिल्लीवासियों के लिए राहत की सांस

यह फैसला उन लाखों दिल्लीवासियों के लिए राहत की सांस लेकर आया है, जो अपनी पुरानी गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। खासकर मध्यम वर्ग के लिए, जो नई गाड़ी खरीदने में असमर्थ हैं, यह फैसला किसी तोहफे से कम नहीं है। दिल्ली सरकार का यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखता है, बल्कि आम लोगों की जरूरतों को भी प्राथमिकता देता है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला और दिल्ली सरकार का रुख दिखाता है कि पर्यावरण संरक्षण और जनता की सुविधा के बीच संतुलन बनाना संभव है। दिल्ली सरकार की ओर से उठाए गए कदम और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यह साफ है कि पुराने वाहनों पर कार्रवाई से पहले एक वैज्ञानिक और निष्पक्ष अध्ययन की जरूरत है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग इस मामले में क्या जवाब देते हैं।

फिलहाल, दिल्ली-एनसीआर के वाहन मालिकों को राहत मिली है, और वे अपनी गाड़ियों का इस्तेमाल बिना किसी डर के कर सकते हैं। यह फैसला न केवल दिल्लीवासियों के लिए, बल्कि पूरे देश में पर्यावरण नीतियों पर चर्चा को एक नई दिशा दे सकता है।

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