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क्या इस बार ‘जोकीहाट’ पर खत्म होगा तस्लीमुद्दीन परिवार का दबदबा?

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नई दिल्ली, 29 अगस्त (khabarwala24)। बिहार के अररिया जिले में स्थित जोकीहाट विधानसभा सीट का राजनीतिक महत्व इस बात से स्पष्ट है कि यहां कैंडिडेट किसी भी पार्टी का हो, लेकिन जीत का फैसला मुस्लिम वोटर ही करते हैं। सामान्य श्रेणी की इस सीट पर जदयू, राजद और कांग्रेस जैसे दलों का लंबे समय तक दबदबा रहा है, जो इसे क्षेत्रीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाता है।

जोकीहाट को अपने सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, जहां ग्रामीण और शहरी आबादी का मिश्रण देखने को मिलता है। इस क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या और उनकी प्राथमिकताएं समय-समय पर बदलती रही हैं, जिसके चलते यह सीट चुनावी दृष्टिकोण से हमेशा चर्चा में रहती है। हाल के सालों में यहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और अन्य क्षेत्रीय दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखा गया है।

1967 में अस्तित्व में आई जोकीहाट विधानसभा सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें 1996 और 2018 में हुए दो उपचुनाव शामिल हैं। इस सीट की सबसे खास बात यह है कि यहां से अब तक सभी विधायक मुस्लिम समुदाय से ही चुने गए हैं, जिसका कारण क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की भारी संख्या (लगभग 65.70 प्रतिशत) है।

इस सीट पर लंबे समय तक वरिष्ठ नेता मोहम्मद तस्लीमुद्दीन और उनके परिवार का दबदबा रहा है। तस्लीमुद्दीन और उनके बेटों ने 16 में से 10 बार इस सीट पर कब्जा जमाया। तस्लीमुद्दीन ने कांग्रेस (1969), निर्दलीय (1972), जनता पार्टी (1977, 1985) और समाजवादी पार्टी (1995) से जीत हासिल की।

1996 में तस्लीमुद्दीन की राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री होने के बाद उनके बेटे सरफराज आलम ने विरासत संभाली। उन्होंने 1996 के उपचुनाव में जनता दल और 2000 में राजद से जीत दर्ज की। हालांकि, 2005 के चुनाव में जदयू के मंजर आलम ने उन्हें मात दी। 2010 के चुनाव में सरफराज आलम ने फिर से वापसी की और उनकी जीत का सिलसिला 2015 में भी जारी रहा। उन्होंने दोनों बार जीत जदयू के टिकट पर हासिल की।

2020 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों की बात करें तो जोकीहाट में कुल 2,93,347 मतदाता रजिस्टर्ड थे, जिनमें 1,92,728 (65.70 प्रतिशत) मुस्लिम और 22,001 (7.5 प्रतिशत) अनुसूचित जाति के मतदाता थे। हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 में यहां मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ, जो 3,05,595 हो गया।

2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर सियासी ड्रामा भी देखने को मिला था। राजद ने तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम को यहां से उतारा था, जबकि उनके भाई शाहनवाज आलम को एआईएमआईएम ने टिकट दिया था। दोनों भाइयों की इस लड़ाई ने जोकीहाट की लड़ाई रोमांचक बनाया और इस सीट पर शाहनवाज आलम ने एआईएमआईएम के टिकट पर जीत हासिल की। हालांकि, कुछ समय बाद वह राजद में शामिल हो गए।

जोकीहाट की भौगोलिक और आर्थिक गतिविधियों को देखें तो पता चलता है कि यहां की जनता मुख्य रूप से कृषि और संबंधित गतिविधियों पर निर्भर है और यहां के प्रमुख मुद्दों में बुनियादी ढांचा, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार शामिल हैं।

कोसी नदी के उपजाऊ जलोढ़ मैदानों में बसा यह क्षेत्र धान, मक्का और जूट की खेती के लिए मशहूर है। स्थानीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है, जिसे प्रवासी श्रमिकों से प्राप्त धनराशि से बल मिलता है। हालांकि, रोजगार की कमी यहां की एक बड़ी सामाजिक-आर्थिक चुनौती है।

एफएम/डीएससी

Source : IANS

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