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यूपी-रेरा की सख्त कार्रवाई: महागुन, माहालक्ष्मी और गौड़संस समेत कई नामी बिल्डरों पर गिरी गाज

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गौतमबुद्ध नगर, 29 सितंबर (khabarwala24)। उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (यूपी-रेरा) ने एक बार फिर रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।

गृह खरीदारों से मिली शिकायतों की सुनवाई करते हुए अथॉरिटी की बेंच ने महागुन, माहालक्ष्मी, गौड़संस सहित कई प्रमुख बिल्डरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं। यह कार्रवाई न केवल कानून के उल्लंघन को रोकने के लिए है, बल्कि उन आम लोगों के भरोसे को कायम रखने के लिए भी है जो वर्षों से घर खरीदने की प्रक्रिया में ईमानदारी और पारदर्शिता की उम्मीद कर रहे हैं।

सुनवाई के दौरान पाया गया कि कई बिल्डरों ने यूपी-रेरा अधिनियम की धारा 13 का उल्लंघन करते हुए बिना निर्धारित प्रारूप में करार किए खरीदारों से अग्रिम राशि ली। वहीं धारा 61 और 63 के तहत उन प्रमोटरों पर कार्रवाई की गई, जिन्होंने अथॉरिटी के आदेशों की अवहेलना की या गलत दस्तावेज प्रस्तुत कर लाभ उठाने की कोशिश की। महागुन ग्रुप से जुड़ी 16 शिकायतों की सुनवाई में यह सामने आया कि कंपनी ने रेरा पोर्टल पर इलेक्ट्रिकल इंस्टॉलेशन का एक साधारण ड्रॉइंग अपलोड कर उसे इलेक्ट्रिकल एनओसी के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत किया। यह कृत्य भ्रामक आचरण माना गया।

पहले ही चेतावनी दिए जाने के बावजूद सुधार न होने पर सभी मामलों को धारा 63 के तहत दंडात्मक कार्रवाई के लिए अथॉरिटी को भेज दिया गया है। महालक्ष्मी ग्रुप के खिलाफ 9 शिकायतों में पाया गया कि कंपनी ने खरीदारों को दिए गए अलॉटमेंट लेटर सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूप में जारी नहीं किए। इसे धारा 13 का सीधा उल्लंघन मानते हुए मामलों को धारा 61 के तहत दंडात्मक कार्रवाई के लिए भेजा गया।

इसी प्रकार, एस.जे.पी. होटल्स एंड रिजॉर्ट्स प्रा. लि., पंचशील बिल्डटेक प्रा. लि. और गौड़संस रियलटेक प्रा. लि. के खिलाफ भी गलत प्रारूप में दस्तावेज जारी करने या आदेशों की अवहेलना करने पर कार्रवाई की गई। माहालक्ष्मी इंफ्राहोम्स प्रा. लि. पर झूठे और भ्रामक तथ्यों के आधार पर आपत्ति दर्ज करने पर 10,000 का खर्चा अधिरोपित किया गया।

वहीं, गौड़संस हाई-टेक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. पर चार मामलों में इसी तरह के आचरण के लिए 25,000 प्रति केस (कुल 1 लाख) का जुर्माना लगाया गया। यूपी-रेरा की इस सख्त कार्रवाई से संदेश साफ है कि अब बिल्डरों की मनमानी नहीं चलेगी। कब्जा देने में देरी, गलत जानकारी या अधूरे दस्तावेज देने जैसी समस्याओं पर अब रेरा चुप बैठने वाला नहीं है। यह फैसला हजारों गृह खरीदारों के लिए राहत लेकर आया है और रियल एस्टेट सेक्टर में जवाबदेही की एक नई मिसाल कायम की है।

Source : IANS

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