नई दिल्ली, 30 अगस्त (khabarwala24)। केंद्र सरकार ने बोरियों के उपयोग शुल्क में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि की है, जिससे राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को वित्तीय राहत मिली है।
सरकार ने उपयोग शुल्क को 7.32 रुपए प्रति प्रयुक्त बोरी से संशोधित कर 10.22 रुपए प्रति प्रयुक्त बोरी या राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा वहन की गई वास्तविक लागत, जो भी कम हो, कर दिया है।
केएमएस 2017-18 से केएमएस 2024-25 तक नए बोरियों की लागत में वृद्धि के अनुपात में प्रयुक्त बोरियों के उपयोग शुल्क में वृद्धि की गई है।
संशोधित दर केएमएस 2025-26 से लागू होगी।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, प्रह्लाद जोशी के अनुसार, इस निर्णय का उद्देश्य सुचारू खरीद संचालन सुनिश्चित करना है, जिससे सस्टेनेबल पैकेजिंग प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही खाद्यान्न खरीद और वितरण में केंद्र-राज्य सहयोग को मजबूत किया जा सकेगा।
केंद्र को विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से संशोधन के अनुरोध प्राप्त हुए, जिसके बाद भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने एक समिति का गठन किया।
पैकेजिंग शुल्कों की व्यापक समीक्षा के लिए इस समिति में राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के सदस्य शामिल थे।
आंध्र प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और हरियाणा ने समिति को अपने सुझाव दिए।
इस सप्ताह की शुरुआत में, आगामी त्योहारी सीजन से पहले गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के निरंतर प्रयासों के तहत, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में थोक और खुदरा व्यापारियों के साथ-साथ प्रोसेसर्स पर लागू गेहूं की स्टॉक सीमा को 31 मार्च, 2026 तक कम करने का निर्णय लिया।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा पहले के 3,000 मीट्रिक टन से घटाकर 2,000 मीट्रिक टन कर दी गई है, जबकि खुदरा विक्रेताओं के मामले में, प्रत्येक खुदरा दुकान के लिए स्टॉक सीमा पहले के 10 मीट्रिक टन से घटाकर 8 मीट्रिक टन कर दी गई है।
इसी प्रकार, गेहूं प्रोसेसर्स के लिए, गेहूं भंडारण सीमा को घटाकर मासिक स्थापित क्षमता (एमआईसी) के 60 प्रतिशत (वित्त वर्ष 2025-26 के शेष महीनों से गुणा) कर दिया गया है।
इससे पहले, यह सीमा मासिक स्थापित क्षमता के 70 प्रतिशत (वित्त वर्ष 2025-26 के शेष महीनों से गुणा) पर निर्धारित की गई थी।
यह भंडारण सीमा सरकार की समग्र खाद्य सुरक्षा के प्रबंधन और जमाखोरी तथा बेईमानी से की जाने वाली सट्टेबाजी को रोकने की नीति के तहत लगाई गई है, जो कृत्रिम कमी पैदा कर कीमतों को बढ़ाती है।
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Source : IANS
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